पृथ्वीराज चव्हाण (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में हिंदी भाषा के खिलाफ विद्रोह बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ते तनाव के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने आरोप लगाया है कि मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए महाराष्ट्र में हिंदी भाषा ‘थोपने’ को लेकर विवाद भड़काया जा रहा है। उन्होंने भाषा विवाद के बजाय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता पर ध्यान देने की ओर जोर दिया।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने चव्हाण ने शिक्षा के लिए बजट आवंटन में भारी कटौती का दावा करते हुए कहा कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और शैक्षणिक क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। चव्हाण ने शुक्रवार को कोल्हापुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘शिक्षा पर बजटीय आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए। अंग्रेजी और हिंदी थोपने पर विवाद अप्रासंगिक हैं और मूल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने दावा किया कि महाराष्ट्र में आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) में शिक्षकों के 41 प्रतिशत पद खाली हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, कृषि विश्वविद्यालयों में 70 प्रतिशत रिक्तियां नहीं भरी गई हैं।”
भाषा विवाद तब शुरू हुआ जब राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह एक संशोधित आदेश जारी किया जिसमें ये कहा गया कि हिंदी को कक्षा एक से पांचवीं तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में छात्रों को ‘‘सामान्य तौर पर” तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। हालांकि, हिंदी का विकल्प बाध्यकारी नहीं है। विपक्षी दलों ने इस कदम को तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को थोपना करार दिया है।
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मराठी भाषा के नाम पर उपजे इस भाषा विवाद ने बड़ा राजनीतिक मोड़ ले लिया है। इस विवाद ने अलग हो चुके चचेरे भाई उद्धव और राज ठाकरे को एकजुट कर दिया है। शिवसेना यूबीटी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) पांच जुलाई को मुंबई में एक संयुक्त मोर्चा निकालेंगे। शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी-एसपी) ने विरोध मार्च को अपना पूरा समर्थन दिया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)