बॉम्बे उच्च न्यायालय (pic credit; social media)
Bombay High Court News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों पर राज्य सरकार को कड़ा संदेश दिया है। अदालत ने सरकार के अधूरे और अस्पष्ट हलफनामे पर नाराज़गी जताते हुए इसे अपर्याप्त करार दिया और विस्तृत जानकारी देने का आदेश दिया।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति निजामुद्दीन जमादार की खंडपीठ ने राज्य सरकार के हलफनामे पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सा मामला कब दर्ज हुआ और उसकी वर्तमान स्थिति क्या है। न ही यह बताया गया है कि कितने मामलों में गवाहों की गवाही पूरी हुई है। अदालत ने साफ कहा कि ऐसे अधूरे हलफनामे को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई की निगरानी हाईकोर्ट कर रहा है। इसी कड़ी में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार से विस्तृत हलफनामा मांगा था। इसमें मुंबई, छत्रपति संभाजीनगर, नागपुर, गोवा, दमन-दीव और दादरा-नगर हवेली से संबंधित मामलों की जानकारी देनी थी। लेकिन राज्य सरकार का जवाब अधूरा और अस्पष्ट पाया गया।
इसे भी पढ़ें- बॉम्बे हाईकोर्ट की फटकार, कुलां की 6 खतरनाक इमारतों पर गिरेगा बुलडोजर
कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ मामलों की गिनती बताना पर्याप्त नहीं है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि आरोपी सांसद और विधायक नियमित रूप से अदालत में पेश हों और कार्यवाही को लंबित न करें।
यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की उस सख्ती के बाद उठा है जिसमें कहा गया था कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का निपटारा प्राथमिकता से होना चाहिए। ऐसे मामलों में देरी जनता के विश्वास को कमजोर करती है और न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाती है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह एक विस्तृत और संतोषजनक हलफनामा जल्द से जल्द पेश करे। इसमें जिला स्तर पर दर्ज सभी मामलों, उनकी स्थिति और कार्यवाही की प्रगति का पूरा ब्यौरा शामिल होना चाहिए।
अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार कोर्ट के सवालों का संतोषजनक जवाब पेश कर पाती है या नहीं। अगर नहीं, तो हाईकोर्ट और सख्त रुख अपनाने से पीछे नहीं हटेगा।