गेंदा फूल (pic credit; social media)
Maharashtra News: वसई-विरार में पिछले पांच दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने फूलों की खेती पर संकट खड़ा कर दिया है। त्योहारों के मौसम में फूलों की भारी मांग रहती है, लेकिन बारिश की मार से इस क्षेत्र के किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
वसई-विरार में बड़े पैमाने पर मोगरा, चमेली, जुई, सोनचाफा, सायली, कागदा, नेवाली, जसवंत, गुलाब, सोनटक्का, लिली और गेंदा जैसी कई किस्मों की खेती होती है। इन फूलों की खेती हजारों किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन है। लेकिन निचले इलाकों में जलभराव और लगातार बरसात ने इन बागानों को बुरी तरह प्रभावित किया है। किसान आशंका जता रहे हैं कि पौधों में बीमारियाँ फैल सकती हैं, जिससे उत्पादन और घट जाएगा।
वसई-विरार के अर्नाला, मुक्कम्, ज्योति, आगारी, नवापुर, राजोड़ी, कलब, भुईगांव, मसिंग, सेपारे, गार और वाघोली जैसे इलाकों में फूलों की खेती सबसे अधिक होती है। स्थानीय किसानों का कहना है कि वे पहले से ही फूलों में लगने वाली बीमारियों, जलवायु परिवर्तन और मजदूरों की कमी जैसी चुनौतियों से जूझ रहे थे। अब प्राकृतिक आपदाओं ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
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गणपति उत्सव के दौरान दादर के फूल बाजार में वसई के फूलों की सबसे ज्यादा मांग रहती है। मोगरा, गुलाब, जसवंदी जैसे सुगंधित फूलों के अलावा दूर्वा, शमीपत्री, बेल, केला और हल्दी के पत्तों जैसी पूजन सामग्री की भी खपत बढ़ जाती है। लेकिन इस बार बारिश ने उत्पादन पर पानी फेर दिया है, जिससे किसानों को बड़ा घाटा हो सकता है।
फूल किसान सुभाष भट्टे ने बताया कि “पिछले साल की तुलना में इस बार उत्पादन बेहतर है, लेकिन अगर बारिश यूं ही जारी रही तो स्थिति गंभीर हो जाएगी।” वहीं वसई के किसान किरण पाटिल का कहना है कि त्योहारी सीजन में मांग बढ़ती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पादन घटने की आशंका है।
समाजसेवी नितिन केशव म्हात्रे ने सरकार से मांग की है कि जिन किसानों की बागवानी को भारी नुकसान हुआ है, उनके खेतों का निरीक्षण कर पंचनामा कराया जाए और तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।