पासपोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुंबई. पूर्व प्रोबेशनर आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के फर्जी सर्टिफिकेट प्रकरण के खुलासे के बाद सरकारी मशीनरी हरकत में आ गई है। शिवाजी नगर पुलिस की त्वरित सूझबूझ से फर्जी दस्तावेज सत्यापन साइट का भंडाफोड़ किया गया है। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त डॉ. महेश पाटिल और पुलिस उपायुक्त (जोन-6) हेमराज सिंह राजपूत के मार्गदर्शन में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक बापूराव देशमुख ने पासपोर्ट आवेदन में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने वाले 32 लोगों पर एफआईआर दर्ज किया है। पुलिस ने इस संबंध में 8 महिलाओं और 19 पुरुषों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने जाली जन्म प्रमाण पत्र का उपयोग करके भारतीय पासपोर्ट प्राप्त करने का प्रयास किया था। जिनकी उम्र 22 से लेकर 64 वर्ष तक की है।
पुलिस जांच में सामने आया कि सभी फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट एक ही बोगस ऑनलाइन वेबसाइट https://crsorgi.gov.in/web/index.php की लिंक द्वारा बनाई गई है। दलालों के गिरोह ने पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए मोटी रकम लेकर नकली जन्म प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक आदि राज्यों के विभिन्न जिलों के सरकारी हॉस्पिटल और जिला महिला चिकित्सालय के नाम पर बनाकर दिया है। इसमें अधिकतर फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट यूपी राज्य की है।
पासपोर्ट वेरिफिकेशन के पुलिस हवलदार अजय जाधव की शिकायत पर, शिवाजी नगर पुलिस की अलग अलग टीम ने उस जगह पर जा कर एक-एक बर्थ सर्टिफिकेट की जांच गहनता से की है, जहां से जन्म प्रमाणपत्र जारी किया गया था, और फर्जी पाए जाने पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
लोगों के अनुसार पासपोर्ट बनाना बहुत मुश्किल हो गया है। पासपोर्ट बनाते समय माता-पिता का जन्म प्रमाणपत्र और स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट मांगते हैं। हालांकि अधिकारियों को यह पता होता है कि 80 के दशक से पहले के लोगों के पास इस तरह के कागज़ात नहीं होते है। अधिकतर का जन्म घर में होता था और अधिकतर लोग स्कूल नहीं जाते थे और जो गए थे वो स्कूल सर्टिफिकेट बनवाने को अहमियत नहीं देते थे और संभाल कर नहीं रखते थे। इसी वजह से लोग दूसरे राज्यों से जाली दस्तावेज बना रहे है और अपराधी बन रहे है। जमा किए गए डॉक्यूमेंट में छोटी छोटी गलती निकाल कर और वेरिफिकेशन के नाम पर पुलिस कॉन्स्टेबलों द्वारा कथित तौर पर आवेदक को परेशान किया जाता है। जब तक पासपोर्ट नहीं बन जाता है आवेदक शक के घेरे में रहता है जैसे उसने कोई अपराध किया है।
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पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय ने कहा, “पासपोर्ट भारतीय नागरिक का हक है। खुद की नागरिकता जाहिर करने के लिए आवेदक का जन्म और स्कूल लिविंग प्रमाणपत्र ही काफी होने चाहिए। न कि उनके बुजुर्ग पेरेंट्स के बर्थ और स्कूल सर्टिफिकेट की जरूरत है। अगर फिर भी उनके कागजात चाहिए तो, समय के साथ इसे बदलना चाहिए ताकि भारतीय नागरिक को अपना पासपोर्ट बनाने के लिए अपराध का सहारा नहीं लेना पड़े। हालांकि यह भारतीय पेरेंट्स के लिए है, फॉरेनर्स के बच्चों पर नहीं लागू होता है।”
शिवाजी नगर के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक बापूराव देशमुख ने कहा, “धोखेबाजों ने आधिकारिक सरकारी साइट से मिलती-जुलती एक फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को धोखा दे रहे है। वेबसाइट बनाने वाले गिरोह को पकड़ने के लिए हम साइबर सेल की मदद ले रहें है। लोगों से हमारी अपील है कि फर्जी वेबसाइट की बजाए इस सरकारी https://crsorgi.gov.in/web/index.php/auth/login वेबसाइट से जन्म प्रमाण पत्र बनवाए और अपराध से बचें।”
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26 जनवरी 1950 या उसके बाद और 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे व्यक्ति के लिए
1 जुलाई 1987 को या उसके बाद और 3 दिसंबर 2004 से पहले