प्रवर्तन निदेशालय (pic credit; social media)
ED raids River Art Gallery: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कला जगत में हुई एक चौंकाने वाली धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है। ED ने रवर आर्ट गैलरी के राजेश राजाल और उनके सहयोगियों के खिलाफ 17.9 करोड़ रुपये की मनी लॉन्डिंग और धोखाधड़ी के मामले में अभियोजन शिकायत दर्ज की है।
ED के अनुसार, राजपाल ने मध्य प्रदेश के एक गरीब किसान को कथित उमरिया राज्य का महाराजा बताकर करोड़ों रुपये में 10 प्रसिद्ध कलाकारों की पेंटिंग खरीदी। इसमें एमएफ हुसैन और अन्य कलाकारों की कृतियां शामिल थीं। बाद में पाया गया कि इन पेंटिंग्स की प्रामाणिकता फर्जी थी।
मामले में ED ने राजपाल के अलावा श्री नमी बुलियन के अभिषेक जैन, मनीष गोल्ड पैलेस के मनीष सकरिया और वकील विधांग देसाई को आरोपी बनाया है। आरोप है कि राजपाल और देसाई ने मिलकर मई 2022 के बीच नकली पेंटिंग्स बेची और देसाई ने इनके लिए फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए।
इसे भी पढ़ें- क्या है ED का टारगेट? 2025-26 फाइनेंशियल ईयर के लिए अफसरों ने सेट किया ये Plan
विशेषज्ञों ने जांच के बाद इन पेंटिंग्स को नकली पाया। ED के अनुसार, इस धोखाधड़ी में एक निवेश बैंकर और अन्य सहयोगी भी शामिल थे। राजपाल ने कथित महाराजा का परिचय देकर बड़े पैमाने पर निवेशकों को ठगा।
इस पूरे मामले से कला जगत और निवेशकों में हलचल मची हुई है। कई निवेशकों ने अपने करोड़ों रुपये इस नकली सौदे में लगा दिए थे। ED का कहना है कि ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई करना जरूरी है ताकि आम निवेशकों का नुकसान रोका जा सके।
ED अब आगे इस मामले की गहराई से जांच कर रहा है और सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। मामले में फर्जी प्रमाणपत्र और पेंटिंग्स की नकली पहचान ने यह साबित किया है कि कला बाजार में सतर्कता और पारदर्शिता कितनी जरूरी है। ED के अधिकारियों ने कहा कि आगे भी ऐसे मामले उजागर किए जाएंगे और निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।