राज ठाकरे और निर्वाचन आयोग (सौ. सोशल मीडिया )
Voter List Verification To Be Conducted In Maharashtra: चुनाव आयोग पर महाराष्ट्र के विपक्षी नेताओं के सामूहिक प्रहार का असर दिखने लगा है। राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के मुख्य अधिकारी एस चोकलिंगम से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे सहित विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) के प्रमुख नेताओं की बीते मंगलवार और बुधवार को हुई सामूहिक मुलाकातों के बाद अब चुनाव आयोग विपक्षी नेताओं की शिकायतों की जांच को तैयार हो गया।
मुख्य चुनाव अधिकारी चोकलिंगम ने अधिकारियों को विपक्षी नेताओं की शिकायतों की जांच करने के आदेश दे दिए हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी चुनावों में वोट चोरी का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार, चुनाव आयोग तथा बीजेपी को घेरने का प्रयास करते रहे हैं।
राहुल गांधी का दावा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार चुनावों की मिलीभगत से मतदान में गड़बड़ी करके अस्तित्व में आई है। उन्हीं से प्रेरित होकर महाराष्ट्र में विपक्ष भी विधानसभा चुनावों में गड़बड़ी का आरोप लगाता रहा है।
ऐसी ही शिकायतों के सिलसिले में राज ठाकरे सहित मविआ में शामिल शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी के पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राऊत, राकां शरदचंद्र पवार पार्टी के प्रमुख नेता शरद पवार, जयंत पाटिल, शशिकांत शिंदे, कांग्रेस के बालासाहेब थोरात, वर्षा गायकवाड़, सपा के रईस शेख सहित दूसरे कई बड़े नेता बीते मंगलवार को चोकलिंगम से मिलने गए थे।
पिछले दिनों में महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने इसी सिलसिले में राज्य चुनाव आयोग के मुख्य अधिकारी चोकलिंगम से मुलाकात की थी और मतदाता सूची तथा मतदान में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। विपक्षी नेताओं का दूसरा आरोप यह है कि चुनाव आयोग के अधिकारी विपक्षी नेताओं के आरोपों को सिरे से खारिज कर देते हैं तथा शिकायतों एवं मांगों की अनदेखी करते हैं।
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भले ही सरकार और चुनाव आयोग बोगस मतदाता या मतदाता सूची में गड़बड़ी के विपक्ष के आरोपों को खारिज करता रहा है लेकिन बीजेपी विधायक मंदा म्हात्रे ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि फर्जी मतदाता लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे है और चुनाव आयोग एवं प्रशासन मूकदर्शक की भूमिका निभा रहे है। महात्रे ने कहा कि हर साल 20 से 22 हजार बोगस और हबल नाम वाले वोटरों की सूची चुनाव आयोग को दी जाती है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है। उन्होंने कहा कि 2004, 2009 और 2014 में बदलापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के दौरान करीब 22 हजार बोगस वोटरों की सूची उन्होंने दी थी, लेकिन उस पर कभी कार्रवाई नहीं की गई।