प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mumbai Real Estate News : मुंबई के लाखों किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि मुंबई को दशकों पुराने ‘पगड़ी सिस्टम’ से मुक्त करने के लिए सरकार एक अलग नियामक ढांचा (Regulatory Framework) तैयार करेगी।
इस फैसले का सीधा असर दक्षिण मुंबई और उपनगरों की हजारों पुरानी इमारतों पर पड़ेगा, जो कानूनी पचड़ों के कारण जर्जर हो चुकी हैं लेकिन उनका रिडेवलपमेंट नहीं हो पा रहा है।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सदन में स्पष्ट किया कि नए कानून का मकसद किसी एक पक्ष को फायदा पहुंचाना नहीं, बल्कि संतुलन बनाना है। नए रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में पुराने पगड़ी किरायेदारों को फ्लैट का मालिकाना हक दिलाने पर जोर दिया जाएगा। वहीं, मकान मालिकों को भी उचित मुआवजा और इंसेंटिव मिलेगा, ताकि वे अपनी संपत्ति के विकास के लिए आगे आएं।
यह मुंबई की एक अनोखी और पुरानी किरायेदारी व्यवस्था है, जो 1940 के दशक से चली आ रही है। इसमें किरायेदार मकान मालिक को एक बड़ी रकम (पगड़ी) देता था और बदले में उसे नाममात्र के किराए पर रहने का लगभग आजीवन अधिकार मिल जाता था। मजे की बात यह है कि दक्षिण मुंबई के पॉश इलाकों में आज भी कई पगड़ी किरायेदार 100-200 रुपये महीना किराया दे रहे हैं, जो रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत सुरक्षित है।
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सरकार को इस सिस्टम में दखल इसलिए देना पड़ा क्योंकि यह मुंबई के विकास में रोड़ा बन रहा था। चूंकि किराया बेहद कम है आता था इसलिए मकान मालिकों के पास इमारत की मरम्मत के लिए पैसा नहीं बचता था। नतीजा ये हुआ कि सैकड़ों इमारतें गिरने की कगार पर हैं। वहीं, बिल्डर या मकान मालिक जब रिडेवलपमेंट करना चाहते हैं, तो किरायेदार को डर रहता है कि एक बार घर खाली किया तो वापस नहीं मिलेगा। इसी अविश्वास के कारण प्रोजेक्ट्स सालों लटके रहते हैं।
शिंदे की इस घोषणा से रियल एस्टेट मार्केट में बूम आने की उम्मीद है। नए ढांचे से कोर्ट केस में कमी आएगी और मुंबई की ‘चॉल संस्कृति’ वाली पुरानी इमारतें आधुनिक टावरों में बदल सकेंगी। इससे शहर में अफोर्डेबल हाउसिंग का संकट भी कुछ हद तक कम हो सकता है।