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Mira Bhayandar: मीरा-भाईंदर (मनपा) की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है। समय पर ठेकेदारों का भुगतान नहीं होने से कई विकास कार्य बाधित हैं। ऐसे समय में मनपा द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च कर सलाहकार नियुक्त करने के निर्णय पर सवाल उठने लगे हैं। शहर के प्रबुद्ध नागरिक इसे ‘कंगाल मनपा का फिजूलखर्च’ करार दे रहे हैं।
शहर में प्रतिदिन लगभग 450 टन कचरा उत्पन्न होता है। इसका प्रसंस्करण उत्तन स्थित परियोजना और बायोगैस संयंत्र में किया जाता है। यह परियोजना फिलहाल सौराष्ट्र एनवायरो प्रोजेक्ट नामक ठेकेदार के माध्यम से चलाई जा रही है, जिसकी अवधि अगले साल समाप्त होने वाली है। मौजूदा संयंत्र तकनीकी दृष्टि से पुराना हो चुका है, जिसके चलते मनपा ने नई और अत्याधुनिक परियोजना शुरू करने की योजना बनाई है।
नई परियोजना के लिए मनपा ने एक अनुमोदित परियोजना सलाहकार नियुक्त किया है। इस पर लगभग 30 करोड़ रुपये का खर्च होगा। जबकि दूसरी ओर मनपा के पास ठेकेदारों के बकाए चुकाने तक के पैसे नहीं हैं। ऐसे में इतना बड़ा खर्च उठाने को लेकर सवाल उठन शुरू हो गया है।
नियुक्त सलाहकार को परियोजना की फिजीबिलिटी रिपोर्ट, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR), निजी-सार्वजनिक भागीदारी (PPP) मॉडल पर योजनाएं तैयार करने और परियोजना की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही, सरकार से आवश्यक धनराशि जुटाने की प्रक्रिया भी इसी सलाहकार को करनी होगी।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए मनपा को उत्तन में 31 हेक्टेयर सरकारी जमीन उपलब्ध है। इसके बावजूद अब तक इसका पूरा उपयोग नहीं हो पाया है। इस बार राज्य सरकार से मिले विशेष अनुदान से परियोजना का खर्च और सलाहकार की फीस पूरी की जाएगी।
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मनपा आयुक्त राधाबिनोद शर्मा ने सलाहकार नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। वहीं, उपायुक्त डॉ. सचिन बांगर का कहना है कि “वर्तमान अपशिष्ट प्रसंस्करण परियोजना अगले साल समाप्त हो रही है. नई और वैज्ञानिक तकनीक वाली परियोजना के लिए सलाहकार नियुक्त करना आवश्यक था। हालांकि नागरिक संगठन सवाल उठा रहे हैं कि जब मनपा की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि ठेकेदारों को महीनों से भुगतान नहीं हो पाया, तब सिर्फ सलाहकार पर 30 करोड़ रुपये खर्च करना जनता के पैसों की बर्बादी है। कुल मिलाकर, मनपा की खस्ता आर्थिक हालात के बीच 30 करोड़ की ‘कचरा सलाह’ शहर में गरमागरम चर्चा का विषय बन गई है।