चंद्रग्रहण के दौरान लालबाग के राजा का विसर्जन (pic credit; social media)
Lalbaug Raja immersion Controversy: देश-विदेश में ख्याति प्राप्त ‘लालबाग के राजा’ गणेशोत्सव मंडल इस बार विसर्जन को लेकर विवादों में आ गया है। इस बार गणपति बप्पा का विसर्जन नियत समय से 33 घंटे की देरी से किया गया। वजह थी समुद्र में ज्वार का समय। बेड़े पर मूर्ति को चढ़ाने में दिक्कत आई और विसर्जन प्रक्रिया टलती रही। आखिरकार रविवार रात 9:10 बजे चंद्रग्रहण के दौरान बप्पा का विसर्जन किया गया, जिससे भारी नाराजगी फैल गई।
हिंदू धर्मावलंबियों और मछुआरा समुदाय ने इस विसर्जन पर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ग्रहण काल में विसर्जन करना धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं का अपमान है। अखिल महाराष्ट्र मच्छीमार कृति समिति ने इस मामले को गंभीर बताते हुए ‘लालबाग गणेशोत्सव मंडल’ पर आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है।
समिति के अध्यक्ष देवेंद्र टंडेल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर घटना की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि परंपरा के अनुसार वर्षों से मुंबई के मछुआरे ही विसर्जन प्रक्रिया को पूरा करते आए हैं। लेकिन इस बार उनकी अनदेखी कर आधुनिक तकनीक से विसर्जन का प्रयास किया गया, जो अंततः असफल रहा।
टंडेल ने कहा कि चंद्रग्रहण के दौरान बप्पा का विसर्जन न सिर्फ धार्मिक परंपराओं के खिलाफ है बल्कि इससे पूरे कोली समुदाय और लाखों श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विसर्जन की पवित्र परंपरा से खिलवाड़ करने वाले जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए।
इस घटना ने अब धार्मिक और सामाजिक बहस को जन्म दे दिया है। एक ओर भक्तों का कहना है कि बप्पा का विसर्जन ग्रहण के समय नहीं होना चाहिए था, वहीं मंडल से जुड़े लोगों का तर्क है कि समुद्र की परिस्थितियों के कारण देरी मजबूरी थी। फिलहाल, प्रशासन इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए है, लेकिन मछुआरा समाज की नाराजगी और भक्तों की भावनाएं देखते हुए आने वाले दिनों में विवाद और गहराने की आशंका है।