भाजपा विधायक आशीष शेलार (नवभारत फोटो)
मुंबई. मुंबई और आसपास के उपनगरों में रहने वाले उत्तर भारतीय मूल के पिछड़े वर्ग और एससी-एसटी के लोगों के कुछ बुद्धिजीवियों की पहल पर एक मंच पर आने के बाद महाराष्ट्र के प्रमुख राजनीतिक दलों में इस समाज के लोगों को अपनी ओर लुभाने की होड़ मच गई है।
मुंबई भाजपा ने सोमवार को आनन-फानन में उत्तर भारतीय ओबीसी, एससी-एसटी नेताओं की बैठक बुलाई है। इसके लिए कुछ ओबीसी नेताओं से संपर्क किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार ओबीसी, एससी-एसटी समाज के कई नेताओं ने ओबीसी, एससी-एसटी बैठक में दूसरे लोगों के मंच पर बैठाने को लेकर आपत्ति जताई है। बहरहाल, इन नेताओं को मनाने की कोशिश की जा रही है।
इस बीच भाजपा मुंबई महसूस कर रही है कि ओबीसी, एससी-एसटी समाज के लोगों को पार्टी में प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए और उनके नेताओं को भी मंच पर जगह दी जानी चाहिए। इसी बात पर विचार-विमर्श करने के लिए भाजपा मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने सोमवार को दादर में पार्टी की बैठक बुलाई है।
उधर शिवसेना (शिंदे गुट) भी ओबीसी, एससी-एसटी समाज को लुभाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए हाल ही में शिवसेना का दामन थामने वाले पूर्व सांसद और पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम को काम पर लगाया गया है। इसके लिए संजय निरुपम ने विश्वकर्मा समाज की सबसे बड़ी संस्था विश्वकर्मा समिति के हाल में ‘माझी लाडकी बहिन’ का पंजीकरण और ‘बाटी-चोखा’ का कार्यक्रम किया था। इसके पीछे यह मंतव्य था कि उत्तर भारतीय समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ा जाए।
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कांग्रेस में भी उत्तर भारतीय ओबीसी, एससी-एसटी समाज के प्रतिनिधियों की अहमियत अचानक से बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने पार्टी पदाधिकारियों और उत्तर भारतीय सेल को निर्देश दिया है कि पार्टी के कार्यक्रमों में ओबीसी, एससी-एसटी के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता ने पीडीए का फॉर्मूला अपनाया था और ओबीसी, एससी-एसटी समाज के लगभग 50 नेताओं को टिकट दिया था, जिसमें 29 लोग लोकसभा के लिए चुने गए हैं। सपा मुंबई में पीडीए को मजबूत कर रही है। इसके बाद मुंबई भाजपा महसूस कर रही है कि अगर विधानसभा चुनाव जीतना है तो उत्तर भारतीय ओबीसी, एससी-एसटी समाज के प्रतिनिधियों को साथ लेना पड़ेगा।