मुंबई स्थित सावरकर सदन (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: मुंबई धरोहर संरक्षण समिति (एमएचसीसी) ने मध्य मुंबई के दादर स्थित सावरकर सदन को धरोहर का दर्जा देने की सिफारिश की थी। इसके बाद बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने दर्जा देने के लिए सरकार को पत्र लिखा था। हालांकि सरकार ने इस बारे में अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। अब बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को सावरकर सदन को धरोहर का दर्जा देने के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ को एक सरकारी वकील ने सूचित किया कि एमएचसीसी को एक नयी सिफारिश करनी होगी। इसके बाद अदालत ने इसके पीछे के कारण पर सवाल उठाया।
बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि पहले की सिफ़ारिश में क्या दिक्कत है? एमएचसीसी ने सिफ़ारिश की थी, इसलिए बीएमसी ने सरकार को पत्र लिखकर इसे ग्रेड दो धरोहर संरचना घोषित करने के लिए कहा। पीठ ने सरकार और बीएमसी को अपने हलफ़नामे दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त के लिए निर्धारित कर दी।
पंकज के. फडनीस के नेतृत्व वाले एक हिंदू संगठन, अभिनव भारत कांग्रेस द्वारा दायर एक जनहित याचिका में इस इमारत के लिए धरोहर संरक्षण का अनुरोध किया गया था। दादर के शिवाजी पार्क क्षेत्र में स्थित सावरकर सदन, कभी हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर का निवास स्थान हुआ करता था।
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इस जनहित याचिका में राज्य सरकार से 2012 में इस इमारत को मुंबई की आधिकारिक धरोहर सूची में शामिल करने की सिफ़ारिश पर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था। याचिकाकर्ता ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिफ़ारिश को एक दशक से भी ज़्यादा समय हो गया है। अब तक शहरी विकास विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया है।।
याचिका में केंद्र सरकार से सावरकर सदन को “राष्ट्रीय महत्व का स्मारक” घोषित करने पर विचार करने का भी आग्रह किया गया, हालांकि मौजूदा मानदंडों के तहत इसकी आयु 100 वर्ष से कम है। जिन्ना हाउस से तुलना करते हुए, याचिकाकर्ता ने सवाल किया कि सावरकर सदन को इसी तरह की मान्यता क्यों नहीं दी गई। जिन्ना हाउस को संरक्षित धरोहर का दर्जा प्राप्त है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)