(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Maharashtra Local Body Election: बीएमसी चुनाव के अखाड़े में उतरने को लेकर वैसे तो सभी दलों से हिंदी भाषी नेताओं ने दावेदारी ठोंकी है, लेकिन टिकट को लॉटरी समझ बैठे बीजेपी में कुछ ज्यादा ही नगरसेवक बनने वालों की भीड़ है।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए मुंबई मनपा का चुनाव एक प्रतिष्ठा का प्रश्न है। उद्धव ठाकरे की सत्ता को किसी भी हालत में बीजेपी उखाड़ फेंकना चाहती है, इसलिए अनचाहे मन से ही सही हाईकमान के दबाव में उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ पार्टी को गठबंधन करना पड़ रहा है, ऐसी हालत है कि कई नेताओं को इसलिए चुनाव लड़ने से वंचित होना पड़ेगा, क्योंकि बंटवारे में सीट शिवसेना को जाने वाली है।
पश्चिमी उपनगरों से कांग्रेस से बीजेपी में आए कमलेश यादव, विनोद मिश्र, ज्ञानमूर्ति शर्मा, पंकज यादव, दीपक ठाकुर, सागर सिंह ठाकुर, सुनीता यादव, सुधा सिंह जैसे हिंदी भाषी पहले से बीजेपी से नगरसेवक हैं। इस बार भी सभी ने टिकट मांगा है।
जानकारी के अनुसार इसमें सुनीता यादव को छोड़कर करीब सभी को टिकट मिलना तय है। विद्यार्थी सिंह की सीट आरक्षित हो गयी है, इसलिए उनका परिवार इस बार चुनाव महासंग्राम से बाहर रह सकता है। इसके अलावा अन्य हिंदी भाषी चेहरों में कालीना से दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके अमरजीत सिंह, नितेश राजहंस सिंह, अजय सिंह, मालाड वेस्ट से तेजिंदर सिंह तिवाना, धारावी में दीपक सिंह टिकट के प्रमुख दोवदार हैं।
अंधेरी पूर्व में जयनारायण तिवारी, चांदीवली-साकीनाका से सीताराम तिवारी, शुभ्रांशु दीक्षित, दहिसर पूर्व से अमित सिंह, अरविंद यादव, सूची यादव, पवई से श्रीनिवास त्रिपाठी, भरत सिंह, शिवम सिंह, शिवनारायण सिंह और आदित्य सिंह, मुलुंड से मनीष तिवारी, भांडुप से जेनी शर्मा, दादर-माटुंगा से उदयप्रताप सिंह भी चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। हालांकि दक्षिण मुंबई के रणजीत सिंह ने भी दावा किया है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि यह सहीं है कि मौजूदा समय में मुंबई के हिंदी भाषियों का झुकाव बीजेपी के साथ है, इसलिए कार्यकर्ताओं में भी टिकट मांगने का उत्साह है, लेकिन पार्टी की भी अपनी मजबूरी है।
मुंबई बीजेपी की लड़ाई उद्धव और राज ठाकरे की पार्टी से है। इसलिए टिकट उन्हीं को मिलेगा, जो जीत हासिल कर सकें, जुगाड़ और पैराशुट उम्मीदवारों को टिकट देकर पार्टी कोई रिश्क लेने के मूड में नहीं है। हो सकता है कि ऐसे नेताओं को टिकट की घोषणा के बाद निराश होना पड़े। कई सीटें ऐसी भी हैं, जो बीजेपी को नहीं मिल पा रही हैं, क्योंकि हिंदी भाषियों की सीट बंटवारे में शिंदे गुट के पास जा सकती है।
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अन्य पार्टियों की अपेक्षा मुंबई में और मराठी बंधुओं के साथ उत्तर भारतीयों और परप्रातीय को सबसे ज्यादा अहमियत देने वाली पार्टी भाजपा है। इससे पहले भी भाजपा ने बीते मनपा चुनावों में परप्रांतीय मुंबईकर नेताओं को मौका दिया था, जिन्होंने जीत हासिल की थी। इस बार भी पार्टी ने युवाओं को मौका देने को कहा है। भाजपा कोई भेदभाव नहीं करती।
एडवोकेट अखिलेश चौबे (इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी मुंबई भाजपा नेता)