प्रताप सरनाईक, एसटी बस (pic credit; social media)
Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार ने राज्य परिवहन महामंडल (एसटी) के लिए आर्थिक स्थिरता की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। अब एसटी की अतिरिक्त और निष्क्रिय जमीनों का विकास सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत किया जाएगा। इस फैसले से न केवल निगम की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी बल्कि यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
परिवहन मंत्री और एसटी महामंडल के अध्यक्ष प्रताप सरनाईक ने कहा कि सरकार ने इन परियोजनाओं की लीज अवधि 60 साल से बढ़ाकर 98 साल करने की मंजूरी दी है। उनके अनुसार, लंबे समय के इस फैसले से निवेशकों को भरोसा मिलेगा और निगम को स्थायी आय का स्रोत उपलब्ध होगा।
संशोधित नीति के तहत एसटी की जमीनों का विकास 49+49 साल यानी कुल 98 वर्षों तक निजी भागीदारी में संभव होगा। इस दौरान जमीन से होने वाले व्यावसायिक लाभ का एक निश्चित हिस्सा अनिवार्य रूप से निगम को मिलेगा। इससे सुनिश्चित होगा कि निगम की आर्थिक स्थिति पर सीधा लाभ पहुंचे।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि मुंबई महानगर क्षेत्र की जमीनों के विकास में डीसीपीआर-2034 और यूडीसीपीआर-2020 के प्रावधान लागू होंगे। इसके तहत व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दी जाएगी, जिससे मॉल, कार्यालय परिसर और अन्य परियोजनाओं का विकास संभव होगा।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अनुपयोगी जमीनों का सही उपयोग होगा, नई परियोजनाओं के जरिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और एसटी को लंबे समय तक स्थायी राजस्व का स्रोत मिलेगा। हालांकि, कुछ संगठनों और परिवहन विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि निजीकरण की ओर बढ़ते ऐसे कदमों से भविष्य में किरायों पर असर पड़ सकता है।
सरकार का कहना है कि इस फैसले से निगम को बेहतर वित्तीय मजबूती मिलेगी, जिससे नई बसें खरीदने, बेड़े का आधुनिकीकरण करने और यात्रियों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने में आसानी होगी।