मुंबई में प्रदुषण का स्तर बढ़ा (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mumbai AQI BMC Action: पिछले तीन दिनों में मुंबई की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) औसतन 160 से 200 के बीच बना हुआ है, जो दूषित हवा को दर्शाता है। वायु प्रदूषण लगातार शहर के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सुबह व शाम के वक्त धुंध की परत दिखाई दे रही है, देवनार, मझगांव व मालाड इलाके में एक्यूआई 300 के ऊपर बना हुआ है।
सोशल मीडिया पर कई तरह के विडियो वायरल हो रहे है, जिसमें धुंध को लेकर नागरिक बीएमसी से सवाल पूछ रहे है। विशेषज्ञों के मुताबिक, वायु प्रदूषण का असर आमतौर पर अस्थमा या श्वास संबंधी मरीजों पर अधिक पड़ता है। शिवसेना राज्य सभा सांसद मिलिंद देवड़ा ने बढ़ते हुए प्रदूषण को लेकर चिंता जताई है और बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी को इस संबंध में पत्र लिखकर कार्रवाई करने की बात कही है।
मिलिंद देवड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि मुंबई में वायु प्रदूषण का संकट अब सिर्फ मौसमी समस्या नहीं रहा। यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बन चुका है। भारत को वायु प्रदूषण के खिलाफ एक राष्ट्रीय युद्ध और राष्ट्रीय सहमति की आवश्यकता है। मुंबई आज स्वच्छ हवा के लिए तरस रही है। एक मुंबईकर और जनप्रतिनिधि होने के नाते, मेरा मानना है कि हम इससे बेहतर के हकदार हैं।
Mumbai’s air-pollution crisis is no longer a seasonal issue — it is a public-health emergency. India needs a nationwide war & a national consensus against air pollution.#Mumbai is gasping for clean air. As a Mumbaikar & a public representative, I believe we deserve better. It… pic.twitter.com/V1WtxSBscv — Milind Deora | मिलिंद देवरा (@milinddeora) November 27, 2025
देवड़ा ने लिखा कि आपके सांसद के रूप में इस बढ़ती चिंता पर आपके साथ खड़ा होना मेरा कर्तव्य है। मैंने बीएमसी आयुक्त को पत्र लिखकर तुरंत और असाधारण कदम उठाने का आग्रह किया है, जिसमें वायु गुणवत्ता सुधरने तक सभी खुदाई और निर्माण कार्यों पर अस्थायी रोक शामिल है। आइए, मिलकर स्वच्छ हवा के लिए एक जन-जागरण आंदोलन करें।
लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण के लिए नागरिक बीएमसी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और मुंबई की तुलना दिल्ली से कर रहे हैं। गुरुवार को बीएमसी अतिरिक्त आयुक्त अश्विनी जोशी ने इस मुद्दे को लेकर पत्रकारों से बातचीत की और बताया कि बीएमसी लगातार वायु प्रदूषण पर नजर बनाए हुए हैं और संबंधित कार्रवाई की जा रही है।
मुंबई में विभिन्न निर्माण स्थलों पर 662 एक्यूआई संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, जबकि 251 अतिरिक्त संयंत्र लगाने की प्रक्रिया जारी है। बीएमसी द्वारा तैयार डैशबोर्ड से जुड़े 400 सेंसरों में से 117 निष्क्रय पाए गए, जिसके बाद तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए गए है।
वहीं, मुंबई की 593 बेकरी में से 209 पहले से ही स्वच्छ ईंधन पर चल रही थीं। पिछले छह महीनों में 132 बेकरी को स्वच्छ ईंधन पर स्थानांतरित किया गया है, जबकि 88 बेकरी महानगर गैस के लिए आवेदन कर चुकी हैं।
परेल के ग्लेनईगल्स हॉस्पिटल के वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश चाफले ने कहा कि गुणवत्ता स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक असर डालती है। इससे दमा (अस्थमा) और सीओपीडी जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि होती है, हृदयाघात और स्ट्रोक जैसे हृदय संबंधी रोग बढ़ते हैं, और कुछ प्रकार के कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है।
लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने से समयपूर्व मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, बच्चों में विकास संबंधी समस्याएं, संज्ञानात्मक क्षमता में कमी और अन्य दीर्घकालिक बीमारियां भी हो सकती है। इन प्रभावों का सबसे अधिक खतरा बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पहले से बीमार लोगों को होता है।
वायु प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने और प्रदूषण फैलाने में संलिप्त पाए जाने के चलते शहर में कुल 53 निर्माण परियोजनाओं को स्टॉप वर्क (काम रोकें) नोटिस जारी की गई है। बीएमसी के फ्लाइंग स्क्वाड (उड़न दस्तों) ने 26 नवंबर तक 53 साइटों पर नोटिस जारी की। इनमें जी-दक्षिण विभाग के सिद्धार्थ नगर की 17, ई विभाग के मझगांव की 5 और पी-उत्तर विभाग के मालाड (पश्चिम) की 31 निर्माण परियोजनाएं शामिल है। बीएमसी ने चेतावनी दी है कि निर्माण स्थल पर सेसर आधारित वायु गुणवत्ता सूचकांक मापने वाले संयंत्र बंद पाए गए तो संबंधित ठेकेदारों एवं डेवलपर्स के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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शहरभर में व्यापक उपाय लागू किए जा रहे हैं। इनमें इलेवट्रिक बसों का बढ़ता उपयोग, बेकरी और श्मशानभूमि को स्वच्छ ईंधन पर स्थानांतरित करना, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए मिस्टिंग मशीनों से पानी का छिड़काव, तथा मलबे का वैज्ञानिक निपटान जैसे कदम शामिल हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरूवार को कहा कि अधिकारी महानगर में वायु प्रदूषण के लिए इथोपिया में ज्वालामुखी फटने से उठी राख को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते और वायु गुणवत्ता सूचकांक उससे बहुत पहले से ही खराब रहा है। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ से शहर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर वर्ष 2023 से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई करने का आग्रह किया गया था।