मुंबई विस्फोट मामले में 9 करोड़ मुआवजे की मांग (pic credit; social media)
Mumbai Blast Case: 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामले में नौ साल जेल में बिताने वाले डॉ. वाहिद दीन मोहम्मद शेख ने अब 9 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है। शेख ने यह मांग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NMC) से की है। उनका कहना है कि उन्हें 7/11 धमाकों के मामले में गलत तरीके से फंसाया गया था।
11 जुलाई 2006 को मुंबई की सात लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों में 187 लोगों की मौत हुई थी और 800 से ज्यादा यात्री घायल हुए थे। इस मामले में गिरफ्तार किए गए 13 आरोपियों में शेख भी शामिल थे। उन पर मकोका लगाया गया था। हालांकि 2015 में विशेष अदालत ने उन्हें बरी कर दिया, जबकि बाकी 12 आरोपियों को सजा सुनाई गई। इस साल जुलाई में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी उन सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया।
46 वर्षीय शेख ने कहा कि जेल में बिताए नौ साल उनके लिए किसी नरक से कम नहीं थे। इस दौरान उन्हें मानसिक और शारीरिक यातनाएं झेलनी पड़ीं। जेल की प्रताड़ना के कारण उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हुई और उन्हें ग्लूकोमा समेत अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो गईं। परिवार पर भी इसका गहरा असर पड़ा। उनके पिता का निधन हो गया, मां गंभीर मानसिक तनाव की शिकार हो गईं और घर आर्थिक तंगी में डूब गया।
शेख ने बताया कि उनके बच्चे ‘आतंकवादी के बच्चे’ कहकर सामाजिक भेदभाव झेलते रहे। खुद उनका करियर और शिक्षा पटरी से उतर गई। आज वे शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं, लेकिन 30 लाख रुपये के कर्ज में दबे हुए हैं। उन्होंने कहा, “नौ साल मेरी जिंदगी के सबसे कीमती साल छीन लिए गए। मेरा सम्मान, करियर और परिवार बर्बाद कर दिया गया। अब न्याय दिलाने के लिए मुआवजा मिलना ही चाहिए।”
शेख ने स्पष्ट किया कि उन्होंने पहले मुआवजा नहीं मांगा, क्योंकि उनके सह-अभियुक्त अभी जेल में थे। लेकिन अब जब सभी बरी हो चुके हैं, तो उनकी यह मांग पूरी तरह जायज है।
यह मामला एक बार फिर न्याय व्यवस्था और मुआवजा प्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है। अब देखना होगा कि आयोग और सरकार उनकी मांग पर क्या रुख अपनाती है।