सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल (फोटो- सोशल मीडिया)
Manoj Jarange,Chalo Mumbai on Maratha Reservation महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। मराठा समुदाय के नेता मनोज जरांगे ने आरक्षण के लिए अपनी ‘आखिरी लड़ाई’ का ऐलान कर दिया है। रविवार को बीड जिले के मंजरसुम्बा में आयोजित एक विशाल जनसभा में जरांगे ने प्रदेश भर के मराठा समाज के लोगों से 27 अगस्त को ‘चलो मुंबई’ मार्च में शामिल होने की अपील की है। उनका यह कदम सरकार पर दबाव बढ़ाने और समुदाय को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिलाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
जरांगे ने साफ कहा है कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण होगा और इसका मकसद किसी भी तरह की हिंसा फैलाना नहीं है। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने और किसी भी उपद्रवी को तुरंत पुलिस के हवाले करने का आग्रह किया, ताकि सरकार की साजिशों को नाकाम किया जा सके। 29 अगस्त से मुंबई के आजाद मैदान में एक शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन शुरू करने की भी योजना है। जरांगे का कहना है कि अब लड़ाई मुंबई की सड़कों पर लड़ी जाएगी और बिना आरक्षण लिए वापस नहीं लौटा जाएगा।
इस जनसभा को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे ने कहा कि इस बार की भीड़ सरकार को हिला देगी। उन्होंने कहा कि अगर यहां से कोई असर नहीं हुआ, तो मुंबई पहुंचने पर सरकार को असली दबाव महसूस होगा। जरांगे ने अपने पैतृक गांव जालना के अंटरावली सराटी से 27 अगस्त को मार्च की शुरुआत करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई आर-पार की है और मराठा समाज को उनका हक दिलाकर ही दम लेंगे।
मनोज जरांगे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर मराठा समाज को परेशान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि फडणवीस छोटी-छोटी अड़चनें खड़ा कर उकसाने का काम करते हैं और पुलिस का इस्तेमाल कर लोगों को परेशान कर रहे हैं। जरांगे ने पुलिस से आग्रह किया कि वह मराठा समुदाय को परेशान करने के बजाय महादेव मुंडे के हत्यारों को पकड़े। मुंडे का 9 अक्टूबर 2023 को अपहरण हुआ था और तीन दिन बाद उनका शव मिला था। यह मामला फिलहाल क्राइम ब्रांच की जांच में है।
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बता दें कि यह आंदोलन मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा में ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिलाने के लिए है। जरांगे के अनुसार, अब यह अंतिम लड़ाई है और जब तक आरक्षण नहीं मिलता, वे पीछे नहीं हटेंगे। उनके इस आह्वान ने पूरे महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के बीच एक नई उम्मीद जगा दी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। यह मुद्दा अब मुंबई की सड़कों पर एक बड़ा रूप लेने को तैयार है।