महायुति सरकार (pic credit; social media)
Mahayuti Government: महाराष्ट्र की महायुति सरकार नई नीति के तहत नजूल (पट्टे पर) दी गई सरकारी स्वामित्व वाली छोटी, अयोग्य, अनुपयोगी, विकृत आकार, लैंड-लॉक्ड (चारों तरफ से घिरी, सुगम पहुंच रहित) सरकारी भूमि को फिर से वितरण करने की तैयारी कर रही है। इस आशय के प्रस्ताव को मंगलवार को महायुति कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई।
नए सरकारी निर्णय में ऐसी जमीनें प्लॉट धारकों को उनके मौजूदा ग्रहणाधिकार के रूप में ही देने का निर्णय लिया गया है। इससे घर के पीछे की जमीन, जैसे कि कंजरवेंसी लेन, या अन्य अप्रयुक्त जमीन, आधिकारिक तौर पर जमीन धारकों के स्वामित्व में आ जाएगी। इसके लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं।
यदि संबंधित भूखंड धारक ने भूखंड पट्टे पर लिया है, तो नई दी गई भूमि भी उसी दर पर पट्टे पर दी जाएगी। इसी तरह यदि एक से अधिक भूखंड धारकों की ओर से मांग है? किसी एक के नाम जमीन देने के लिए आस-पास के सभी प्लॉट धारकों की लिखित सहमति जरूरी होगी। सहमति न मिलने पर जमीन सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले धारक को दी जाएगी। यह योजना केवल नगर निगम और नगर परिषद क्षेत्रों में ही लागू होगी।
मुंबई में जिला कलेक्टर को सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी। प्लॉट का क्षेत्रफल मूल प्लॉट के 10% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। प्लॉट पर एफएसआई का इस्तेमाल कहीं और नहीं किया जाना चाहिए। जमीन के नीचे या ऊपर से गुजरने वाले टेलीफोन केबल, बिजली के तार आदि के बारे में स्पष्टता जरूरी है तथा प्लॉट का विकास स्थानीय प्राधिकरण के विकास नियमों के अनुसार करना होगा।
महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम की अधिशेष भूमि का पट्टा व्यावसायिक उपयोग हेतु संशोधित नीति के तहत 60 वर्ष के बजाय 49 वर्ष के लिए दो चरणों में 98 वर्ष तक बढ़ाने को मंजूरी दी गई। इससे महानगरों और अन्य शहरी क्षेत्रों में बस स्टैंड, बस डिपो के साथ-साथ यात्रियों सहित विभिन्न घटकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा सकेंगी। 2001 में, महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के कब्जे में अधिशेष भूमि के व्यावसायिक उपयोग हेतु पट्टा अवधि 30 वर्ष थी।
बंद पड़ी कताई मिल, नागपुर बुनकर सहकारी कताई मिल के श्रमिकों की लंबे समय से लंबित मांगों पर सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण से एक बड़ा फैसला लिया है। बैठक में कताई मिल की भूमि की बिक्री से प्राप्त धनराशि से 1,124 श्रमिकों को 50 करोड़ रुपए का अनुग्रह अनुदान देने के प्रावधान को मंजूरी दी गई।
पचोरा (जलगांव जिला) नगर परिषद की विकास योजना के सर्वेक्षण क्रमांक 44/1 में आरक्षण क्रमांक 49 – ‘खेल के मैदान’ को हटाकर उस भूमि का उपयोग आवासीय क्षेत्र के लिए करने के प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई। यह प्रस्ताव पचोरा नगर परिषद द्वारा 5 अप्रैल, 2021 को सरकार को प्रस्तुत किया गया था।
कैबिनेट बैठक में कुष्ठ रोगियों के लिए अस्पताल और पुनर्वास आधार पर कार्यरत गैर-सरकारी संगठनों को अनुदान बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के अनुसार, अस्पताल आधार पर कुष्ठ रोगियों के लिए कार्यरत परिशिष्ट-ए में शामिल 13 निजी गैर-सरकारी संगठनों को 2,200 रुपए के स्थान पर 6,600 रुपए का अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह कुष्ठ रोगियों के लिए पुनर्वास आधार पर कार्यरत परिशिष्ट-बी में शामिल 16 गैर-सरकारी संगठनों को 2,000 रुपए के स्थान पर 6,000 रुपए प्रति रोगी प्रति माह का अनुदान दिया जाएगा। इसमें कुल 1,975 बिस्तर शामिल हैं।