संसद में प्याज दाम को लेकर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन (pic credit; social media)
Maharashtra Parliament Onion Protest: महाराष्ट्र में मानसून ने इस समय नाराजगी दिखाई है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है। इसमें सबसे बड़ी मार प्याज की फसल पर पड़ी है। महाराष्ट्र में प्याज किसानों की बढ़ती मुश्किलों को लेकर संसद में विपक्ष ने एक अनोखे अंदाज में विरोध प्रदर्शन किया। विपक्ष ने प्याज की माला पहनकर प्याज की गिरती कीमतों को लेकर अपनी आवाज उठाई। विपक्ष ने इस विरोध से किसानों की परेशानी को सरकार के सामने रखा।
महाराष्ट्र के प्याज किसानों की बढ़ती मुश्किलों को लेकर संसद में विरोध का एक अनोखा अंदाज देखने को मिला। NCP-SCP के सांसद निलेश लंके ने प्याज की गिरती कीमतों को लेकर अपनी आवाज उठाई और संसद में प्याज की माला पहनकर किसानों की परेशानी को उजागर किया।
उनका कहना है कि प्याज महाराष्ट्र के किसानों की सबसे प्रमुख फसल है, लेकिन प्याज के दाम इतने कम हो गए हैं कि किसान बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं।
निलेश लंके ने कहा, हमारे महाराष्ट्र के किसान प्याज की खेती पर ही अपनी उम्मीदें लगाते हैं, लेकिन इस बार प्याज के भाव इतनी तेजी से गिर गए हैं कि किसान को नुकसान हो रहा है। किसान देश के अन्नदाता हैं, उनकी मेहनत की कमाई को सही दाम मिलना चाहिए। हम मांग करते हैं कि प्याज के दाम बढ़ाए जाएं ताकि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा फल मिले।
उनका यह भी कहना था कि अगर प्याज के दाम नहीं सुधरे तो किसानों की आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी, जिससे खेती से जुड़ी कई मुश्किलें और बढ़ेंगी।
महाराष्ट्र के ही एक और सांसद, भास्कर भगरे ने संसद में प्याज लेकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि प्याज की कम कीमतों के चलते किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से इस समस्या को गंभीरता से लेने की अपील की।
प्याज की कीमतों में इतनी गिरावट के कारण किसान अपनी लागत तक भी नहीं निकाल पा रहे हैं। खेती के लिए जो खर्चा हुआ, वो पूरा नहीं हो पा रहा और इस वजह से किसान आर्थिक संकट में फंस रहे हैं। कई किसान अब मजबूर होकर अपनी फसल को सड़क किनारे फेंकने पर मजबूर हैं, जो उनकी हालत को और भी दर्दनाक बना रहा है।
सांसदों की मांग है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर प्याज के भाव को स्थिर करें और किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए ठोस कदम उठाएं। अगर प्याज की कीमतें ठीक नहीं हुईं तो किसानों की आमदनी पर बुरा असर होगा और इससे पूरे देश की कृषि अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।