लंदन स्थित इंडिया हाउस। इमेज-सोशल मीडिया।
History of India House: राष्ट्रीय एकता के पुरोधा सरदार पटेल को वैश्विक सम्मान दिलाने के बाद भाजपा सरकार वीर सावरकर को अंतरराष्ट्रीय सम्मान दिलाने की कवायद शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटेल के योगदान के लिए गुजरात में ऐतिहासिक प्रतिमा बनवाई। वहीं, अब महाराष्ट्र सरकार ब्रिटेन की राजधानी लंदन स्थित उस इंडिया हाउस को खरीदने की तैयारी में है, जहां वीर सावरकर जैसे क्रांतिकारियों ने आजादी की चिंगारी सुलगाई थी। महाराष्ट्र सरकार के कब्जे में आने के बाद इंडिया हाउस स्मारक के रूप में संरक्षित किया जाएगा। महाराष्ट्र के संस्कृति मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने इसकी पुष्टि की है।
आशीष ने कहा, लंदन में रहने वाले भारतीयों ने मेरी यात्रा के दौरान इस इमारत की अहमियत बताई। इसे खरीदकर हम आजादी की लड़ाई की यादें ताजा रखेंगे। इंडिया हाउस, कभी विनायक दामोदर सावरकर समेत स्वतंत्रता सेनानियों का निवास स्थान था। वह दुनिया के लिए अब स्मारक बनेगा।
महाराष्ट्र सरकार की एक संयुक्त बैठक में इंडिया हाउस को खरीदने का फैसला लिया गया। इसमें नासिक की विधायक देवयानी फरांडे, सामान्य प्रशासन, संस्कृति व पुरातत्व विभाग के अधिकारी शामिल थे। तय हुआ कि एक बहु-विभागीय कमेटी बनेगी, जो खरीद-फरोख्त और संरक्षण की योजना बनाएगी। कमेटी की रिपोर्ट मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंपी जाएगी। सीएम आगे की कार्यवाही करेंगे।
पहली बार नहीं जब महाराष्ट्र सरकार ऐसी पहल कर रही। इस साल की शुरुआत में सरकार ने 18 वीं शताब्दी के मराठा जनरल रघुजी भोंसले की प्रसिद्ध रघुजी तलवार को लंदन में नीलामी में 47.15 लाख रुपये में हासिल किया था। तलवार अगस्त में मुंबई वापस आई थी। शेलार ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार रत्नागिरी जिले के संगमेश्वर में छत्रपति संभाजी महाराज का भव्य स्मारक बनाने की योजना पर आगे बढ़ रही। यानी महाराष्ट्र सरकार राज्य से जुड़ीं धरोहरों, अपनी पहचान को जिंदा रखने के लिए काम कर रही। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस पर खुद नजर बनाए हुए हैं।
उत्तरी लंदन के हाईगेट में क्रॉमवेल एवेन्यू स्थित इंडिया हाउस को वकील श्यामजी कृष्ण वर्मा के संरक्षण में बनाया गया था। इसे ब्रिटेन में भारतीय छात्रों के बीच राष्ट्रवादी विचारों को बढ़ावा देने के लिए खोला गया था। यह संस्थान इंग्लैंड में उच्च शिक्षा के लिए भारतीय युवाओं को छात्रवृत्ति देता था। यह भवन जल्द राजनीतिक सक्रियता का केंद्र बन गया, जो विदेशों में क्रांतिकारी भारतीय राष्ट्रवाद के लिए प्रमुख केंद्रों में से एक था।
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इंडिया हाउस के संरक्षकों ने उपनिवेश वाद-विरोधी समाचार पत्र, द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट प्रकाशित किया। इन्हें ब्रिटिश राज ने देशद्रोही कहकर प्रतिबंधित कर दिया था। कई प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी इंडिया हाउस से जुड़े थे। उनमें विनायक दामोदर सावरकर, भीकाजी कामा, वीएन चटर्जी, लाला हरदयाल, वीवीएस अय्यर, एमपीटी आचार्य और पीएम बापट शामिल थे।