अनिल देशमुख (सोर्स: सोशल मीडिया)
नागपुर: नागपुर जिले सहित पूरे राज्य में बोगस शालार्थ आईडी तैयार कर शिक्षक भर्ती करने के हजारों प्रकरण उजागर हुए हैं। इनमें केवल नागपुर जिले के बोगस भर्ती की विशेष टीम जांच कर रही है। बोगस शिक्षक भर्ती के बाद अब बोगस कागजात तैयार कर बोगस कक्षाओं को मान्यता देकर वहां शिक्षक भर्ती करने का सनसनीखेज मामला भी सामने आया है।
पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि शिक्षा मंत्री दादा भुसे के विधानसभा क्षेत्र मालेगांव में यह घोटाला उजागर हुआ है। उन्होंने सीएम देवेन्द्र फडणवीस से मामले की जांच कराने की मांग की है।
अनिल देशमुख ने बताया कि नासिक जिले के मालेगांव की शाला का फरवरी 2014 को आदेश जारी कर जून 2012 से बिना अनुदान तत्व पर नई कक्षाओं को मान्यता दी गई थी। वैसा ही आदेश शालेय शिक्षण व क्रीड़ा विभाग ने शुद्धिपत्रक के माध्यम से जारी किया था लेकिन इस संदर्भ में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विभाग से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो पता चला कि विभाग द्वारा जो शुद्धिपत्रक जारी किया गया था वही फर्जी था।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता अनिल देशमुख ने दावा किया कि 28 अगस्त 2015 के शासन निर्णयानुसार नई कक्षाओं को मान्यता नहीं दी जा सकती, इसलिए बैकडेट से बोगस आदेश जारी कर मालेगांव में 17 शालाओं की नई कक्षाओं को मान्यता दे दी गई। इसी आदेश के आधार पर बाद में अनुदान भी दिया गया। नई कक्षाओं को मान्यता देकर लगभग 100 शिक्षकों से अधिक की बोगस भर्ती भी कर दी गई।
उन्होंने कहा कि जिस तरह नागपुर जिले में बोगस शिक्षक भर्ती घोटाला किया गया उसी तरह मालेगांव में घोटाला किया गया। ऐसा संपूर्ण राज्य में होने की शिकायतें अब सामने आ रही हैं। उन्होंने घोटाले की एसआईटी के माध्यम से जांच कराने की मांग की।
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नागपुर में बहुचर्चित शालार्थ आईडी घोटाला मामले में आज एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ। नागपुर सत्र न्यायालय ने मामले के मुख्य आरोपी शिक्षा उपसंचालक उल्हास नारद, नीलेश मेश्राम, सूरज नाइक, राजू मेश्राम और संजय बोधदकर को जमानत दे दी है। इस घोटाले ने पूरे राज्य के शिक्षा विभाग को हिलाकर रख दिया है और इसे शिक्षा क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। इस मामले में खुलासा हुआ था कि 580 फर्जी शालार्थ आईडी बनाकर फर्जी शिक्षकों को सरकारी वेतन दिया गया था।