कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
वाशिम: अपनी माता के सिर और शरीर पर कोयते से वार कर उसकी निर्मम हत्या करने वाले आरोपी बेटे को मंगरुलपीर के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय के न्यायाधीश वैभव पाटिल ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 37 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह घटना वाशिम जिले के मंगरुलपीर शहर के पंचशील नगर परिसर में 31 अक्टूबर 2018 को हुई। इस घटना की शिकायत आरोपी की बहन निशा गावंडे ने की थी।
शिकायत के अनुसार, साल 2018 में 30 और 31 अक्टूबर की रात में वह और उसकी सास व बच्चे हॉल में सो रहे थे। रात डेढ़ बजे देवर अतुल और उसकी पत्नी वहां आए। उनसे पूछने पर विवाद करते हुए अतुल ने उसका गला दबा दिया। डर से वह हॉल के बाहर आई। इस दौरान अतुल की माता विमलबाई गावंडे ने उसे समझाया, जिससे अतुल फिर बाहर सोने चला गया।
बाद में रात 2 बजे के करीब अतुल हाथ में कोयता लेकर आया और माता विमलबाई के सिर और शरीर पर वार करने लगा, जिससे विमलबाई गंभीर रूप से घायल हो गईं। इस दौरान आरोपी अतुल ने अपनी पत्नी पर भी वार किया। बीच-बचाव करने आई निशा पर भी वार कर उसे घायल कर दिया। लेकिन निशा और उसकी सास वहां से भागकर पड़ोसियों को इस घटना के बारे में बताया।
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बाद में दोनों महिलाएं पड़ोसियों के साथ घर आईं तो आरोपी ने बताया कि उसने अपनी मां को मारकर जला दिया है। घर में लगी आग को देखते हुए विमलबाई जली हुई स्थिति में मिलीं। विमलबाई के हाथ-पांव काटकर अलग किए गए थे। घटना की शिकायत निशा गावंडे ने मंगरुलपीर पुलिस में की।
पुलिस ने आरोपी अतुल गावंडे के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जांच पूरी करने के बाद मामले को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। प्रकरण की पूरी जांच तत्कालीन जांच अधिकारी महिला पुलिस उपनिरीक्षक मंजुषा मोरे ने की थी।
प्रकरण में आरोपी अतुल का भतीजा, जो उस समय 6 साल का था, ने सभी घटनाएं देखी थीं। यह प्रत्यक्षदर्शी गवाह न्यायालय में महत्वपूर्ण साबित हुआ। प्रकरण में सरकार की ओर से 13 गवाह पेश किए गए। प्राप्त सबूतों के आधार पर आरोपी को दोषी मानते हुए न्यायालय ने आरोपी अतुल गावंडे को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 15 हजार रुपये जुर्माना, धारा 307 के तहत दस वर्ष का कारावास और दस हजार रुपये जुर्माना लगाया है।
इसके अलावा धारा 324 के तहत एक वर्ष का कारावास, धारा 436 के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास और सात हजार रुपये जुर्माना, और धारा 201 के तहत 3 वर्ष का सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। प्रकरण में सरकार की ओर से अतिरिक्त सरकारी वकील मंगेश मानकर ने पैरवी की।