कोल्हापुर में टुटी ठाकरे की शिवसेना (सौजन्यः सोशल मीडिया)
कोल्हापुर: उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के कोल्हापुर जिले में बड़ी फूट पड़ी है। एक तरफ इस्तीफों की झड़ी, दूसरी तरफ भीतरघात के आरोप शुरु है। पूरे जिले में पार्टी की गुटबाजी ने संगठन की जड़ें हिला दी हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि एक नेता ने पार्टी ही छोड़ दी, जबकि दूसरे ने उपनेता पद से इस्तीफा दे दिया। कोल्हापुर दक्षिण विधानसभा के शहर प्रमुख हर्षल सुर्वे ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और पद दोनों से इस्तीफा देकर शिवसेना (ठाकरे गुट) को जोरदार झटका दिया।
उधर, उपनेता संजय पवार ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। दोनों के फैसलों ने जिले में पार्टी के भीतर सुलग रही नाराजगी को सार्वजनिक कर दिया है। हर्षल सुर्वे का इस्तीफा बेहद चौंकाने वाला रहा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मैंने जिलाध्यक्ष पद की मांग की थी, लेकिन मुझे सिर्फ शहर प्रमुख बनाया गया। मैंने मन की बात रखी, तो आदित्य साहब ने कहा कि आदेश नहीं मानते तो पार्टी छोड़ दो।
हर्षल सुर्वे ने बताया कि आदित्य ठाकरे की यह बात दिल में चुभ गई। मैंने हमेशा आदेश माना, कभी अवज्ञा नहीं की। लेकिन अब जब कहा गया कि निकल जाओ, तो मैं जा रहा हूं।” इस भावनात्मक बयान ने पार्टी नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। माना जा रहा है कि हर्षल सुर्वे अब शिंदे गुट का दामन थाम सकते हैं।
उपनेता संजय पवार ने भी इस्तीफा देते हुए पार्टी की नियुक्ति प्रक्रिया पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “नई जिलाध्यक्ष नियुक्ति से नाराज नहीं हूं। लेकिन पूरी प्रक्रिया गलत थी। इच्छुक नेताओं को साथ बैठाकर फैसला किया होता तो यह नौबत नहीं आती। कई पदाधिकारियों ने मुझसे अपनी नाराजगी जताई। मैं अब सिर्फ साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा।” संजय पवार के इस बयान ने साफ कर दिया है कि पार्टी में संवाद की कमी और मनमानी ने संगठन को कमजोर कर दिया है।
जीआर रद्द किया पर ठाकरे पर फोड़ा ठीकरा, फडणवीस ने कहा-उद्धव के काल का है फैसला
दरअसल, हाल में ही रविकिरण इंगवले को कोल्हापुर जिला प्रमुख बनाया गया था। हर्षल सुर्वे चाहते थे कि यह जिम्मेदारी उन्हें दी जाए। लेकिन उन्हें सिर्फ कोल्हापुर दक्षिण का शहर प्रमुख बनाया गया। इससे वे बेहद नाराज हो गए। अपनी नाराजगी जाहिर करने पर भी जब पार्टी नेतृत्व ने सख्त लहजे में जवाब दिया, तो सुर्वे ने पार्टी छोड़ने का बड़ा फैसला कर लिया। संजय पवार के इस्तीफे के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में कार्यकर्ताओं ने विरोध भी जताया और इस्तीफा वापस लेने की मांग की। पार्टी में यह संदेश गया कि नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी संवादहीनता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोल्हापुर जैसे अहम जिले में इस तरह का विद्रोह पार्टी के लिए खतरे की घंटी है। यहां बीजेपी और शिंदे गुट पहले से मजबूत हैं। ठाकरे गुट अपनी पकड़ बचाने की जद्दोजहद कर रहा है। ऐसे में आंतरिक झगड़े और इस्तीफों से संगठन की साख को गहरी चोट लग सकती है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर दबाव है कि नाराज नेताओं को मनाया जाए और कार्यकर्ताओं में भरोसा लौटाया जाए। वरना कोल्हापुर जैसे बड़े जिले में शिवसेना (ठाकरे गुट) के लिए हालात संभालना मुश्किल हो सकता है।