शक्तिपीठ हाईवे के खिलाफ 12 जिलों के किसान निकालेंगे मार्च। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
कोल्हापुर: महाराष्ट्र के 12 जिलनों के किसान शक्तिपीठ हाईवे का विरोध कर रहे हैं। अब 10 हजार किसान 12 मार्च को मुंबई के आजाद मैदान में मार्च निकालेंगे। किसानों ने हाईवे और सरकार की नीति पर सवाल उठाए हैं। 802 किलोमीटर लंबा शक्तिपीठ हाईवे महाराष्ट्र के 12 जिलनों से गुजरेगा और विदर्भ को पश्चिमी महाराष्ट्र से जोड़ेगा।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि शक्तिपीठ हाईवे का निर्माण बिना किसी विरोध के किया जाएगा। लेकिन अब राज्य के बजट सत्र की पृष्ठभूमि में शक्तिपीठ हाईवे के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश की जा रही है और हाईवे के निर्माण को रोकने के लिए किसान बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
बता दें कि वर्धा-गोवा मार्ग पर 802 किलोमीटर लंबा शक्तिपीठ हाईवे प्रस्तावित है। इस मार्ग पर 3 शक्तिपीठों कोल्हापुर के करवीर निवासिनी अंबाबाई, तुलजापुर के तुलजाभवानी और नांदेड़ के माहुर के रेणुकादेवी को जोड़ा जाएगा। साथ ही यह हाईवे दो ज्योतिर्लिंग तीर्थ स्थलों परली वैजनाथ और औंधा नागनाथ को भी जोड़ेगा।
इसके अलावा पंढरपुर के श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर, नांदेड़ में गुरु गोविंद सिंह महाराज के गुरुद्वारे, सोलापुर के सिद्धरामेश्वर मंदिर और पट्टनकोडोली, कनेरी और आदमपुर के तीर्थ स्थलों को जोड़ने की योजना प्रस्तावित है। इस हाईवे के लिए 27 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। यही विवाद का मुख्य मुद्दा है और किसानों ने अपनी जमीन देने का विरोध किया है। राज्य में जब महाविकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार थी, तब यह प्रावधान था कि वर्तमान रेडी रेकनर दर में 20 प्रतिशत की कमी करके किसानों को दोगुनी राशि दी जाएगी।
राज्य में महायुती सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य सरकार कह रही है कि शक्तिपीठ हाईवे के लिए जमीन के मालिक किसान को 5 गुना दर से मुआवजा मिलेगा। हालांकि किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह आश्वासन एक धोखा मात्र है।
चीनी उद्योग विशेषज्ञ जीएस मेधे के अनुसार सड़क विकास निगम शक्तिपीठ राजमार्ग के लिए 27,000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करेगा। राजमार्ग के लिए कोल्हापुर जिले में 5,200 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी। इस हाईवे के लिए गन्ना उत्पादन की अच्छी क्षमता वाली उपजाऊ भूमि का उपयोग किया जाएगा, इसलिए कोल्हापुर जिले में गन्ना उत्पादन घट सकता है। यदी राज्य सरकार शक्तिपीठ हाईवे का निर्माण करती है, तो कोल्हापुर जिले की 5,200 हेक्टेयर भूमि में से कम से कम 80 प्रतिशत भूमि पर वर्तमान में गन्ने की खेती होती है। इससे गन्ने की खेती को खतरा पैदा होगा और भविष्य में गन्ने का उत्पादन कम होने के पुरे आसार है।