प्रसूति अवकाश के लिए 36 हजार की रिश्वत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
जलगांव : शिक्षा का मंदिर समझे जाने वाले स्कूल की छत के नीचे, नैतिकता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। मातृत्व अवकाश जैसी जरूरी सुविधा के बदले रुपये वसूलने की लालच ने एक महिला प्राचार्या और उनके सहयोगी क्लर्क को ACB की गिरफ्त में पहुँचा दिया। जलगांव ज़िले के रावेर में भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने एक शिक्षिका की परेशानी का फायदा उठाकर मोटी रकम मांगने वाले इन दोनों कर्मचारियों को रंगेहाथ पकड़ लिया।
यह घटना सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी गहरा सवाल खड़ा करती है। महाराष्ट्र के जलगांव जिले के रावेर तहसील स्थित खिरोदा गांव में ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने रिश्वतखोरी के एक गंभीर मामले का खुलासा किया है। यहां के धनाजी नाना विद्यालय की प्राचार्या मनीषा महाजन और लिपिक आशिष पाटिल को 36 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया।
मामला एक शिक्षिका के प्रसूति अवकाश से जुड़ा है। शिक्षिका के ससुर, जो स्वयं 61 वर्षीय रिटायर्ड प्राचार्य हैं, ने 2 जून को अपनी बहू के लिए छुट्टी का आवेदन स्कूल में जमा किया था। लेकिन इसके बदले प्राचार्या ने छुट्टी मंजूर करने की एवज में प्रति माह 5,000 रुपये की दर से 6 महीने की छुट्टी के लिए 30,000 रुपये की मांग की। यही नहीं, बाद में रकम बढ़ाकर 36,000 रुपये कर दी गई।
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शिकायतकर्ता ने पूरी जानकारी ACB को दी, और फिर 7 जुलाई को एंटी करप्शन टीम ने जाल बिछाकर कार्रवाई की। जैसे ही लिपिक आशिष पाटिल ने रिश्वत की रकम स्वीकार की, उसे तुरंत पकड़ लिया गया। बाद में महिला प्राचार्या मनीषा महाजन को भी हिरासत में ले लिया गया।
इस कार्रवाई का नेतृत्व धुले ACB यूनिट के पुलिस उप अधीक्षक सचिन सालुंखे ने किया। पूरे क्षेत्र में इस खबर के बाद हड़कंप मच गया है।शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में जब रिश्वत का जहर घुलने लगे, तो व्यवस्था की साख खतरे में पड़ जाती है। यह मामला न केवल एक भ्रष्टाचार विरोधी सफलता है, बल्कि आम जनता के लिए यह सीख भी है कि जागरूकता और कानूनी रास्तों से ही ऐसे भ्रष्टाचारियों को बेनकाब किया जा सकता है।