क्रीड़ा प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha District: भारतीय संस्कृति में प्राचीन मर्दानी खेल को बड़ा महत्व प्राप्त हुआ है। क्योंकि वह केवल शारीरिक व्यायाम का साधन नही है। वह सामाजिक, सांस्कृतिक, अध्यात्मिक विकास का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह खेल केवल शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक चपलता बढ़ाते हैं। अनेक प्राचीन मर्दानी खेल यह शिवाजी महाराज के समय और युद्धकला से जुड़ा है। जो भारतीय इतिहास का एक भाग है। ऐसे विचार आष्टेडू अखाडा फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद रामदास तडस ने व्यक्त किए।
इसके पूर्व मसाला के क्रांतिज्योति सावित्री फुले सभागृह में आष्टेडु मर्दानी अखाडा एसोशिएशन वर्धा व्दारा एक दिवसीय शालेय आष्टेडू क्रीड़ा प्रशिक्षण शिविर के अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे। शिविर का उद्घाटन मसाला ग्रापं के उपसरपंच संदेश किटे ने किया।
प्रमुख अतिथि के रूप में आष्टेडू फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इमरान राही, फेडरेशन संरक्षक गुरु राजेश तलमले, समाजसेवी जयंत कावले, महेश गुल्हाने, उपसंरपच संदेश किटे, मोहन मोहिते, समाजसेवी राजू लभाने, ऑल इंडिया शास्त्री सोशल फोरम के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय नाखले, प्रमुख मार्गदर्शक गुरु उल्हास वाघ, प्रविण चौरे, सुनिल गावंडे, प्रज्वल चोरे, सुधाकर आसुकर, वर्षा डेहनकर, लिला वाघ मंच पर विराजमान थी। प्रस्तावना इमरान राही ने की।
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उन्होंने कहा खेल केवल मनोरंजन का साधन नही है। वह शारीरिक क्षमता बढ़ाने वाला व्यायाम है। प्राचीन खेल यह भारतीय संस्कृति का मूलभूत घटक है। ऐसे मत मोहन मोहिते, राजेश तलमले, गुंडु कावले ने व्यक्त किए। प्रस्तावना इमरान राही, संचालन अमोल मानकर ने किया। आभार गुरू उल्हास वाघ ने माना। सफलतार्थ सिहान साहिल वाघ, इंद्रपाल गवली, संजय आत्राम, संजीव वाघ, नदीम शेख, अभिजित पारगांवकर, आशुतोष चव्हान, सायली वाघ, विक्रांत गव्हाने, मिहिर वाघ, व अन्य का योगदान रहा।