प्रकाश अंबेडकर का सरकार पर तीखा हमला (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख एडवोकेट प्रकाश उर्फ बालासाहब आंबेडकर ने रविवार को नागपुर में मोदी सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हमेशा के लिए सबक सिखाने और उसे टुकड़ों में बांटने का सुनहरा अवसर तैयार किया था। लेकिन ट्रम्प-समर्थक मोदी सरकार ने वह मौका गंवा दिया।
आंबेडकर ने कहा “यह सरकार प्रचार के जाल में फंसी रही और कूटनीति के असली मोर्चे पर असफल रही। इसकी कीमत देश को जीता हुआ युद्ध हारकर चुकानी पड़ी।” एडवोकेट आंबेडकर ने कहा, “1971 में इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश के रूप में पाकिस्तान को विभाजित कर ऐतिहासिक साहस दिखाया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने भी ऐसा ही दबाव बनाया था।
एडवोकेट आंबेडकर ने कहा कि हमारी फौज ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर उसकी कमर तोड़ने की तैयारी कर ली थी। यह मौका था कि हम पाकिस्तान को हमेशा के लिए 5 हिस्सों में बांट देते और आतंकवाद की जड़ ही उखाड़ देते। लेकिन ट्रम्प-समर्थक नीति के चलते यह मौका गंवा दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार की विफल कूटनीति के कारण देश को वैश्विक स्तर पर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। अमेरिका की हां में हां मिलाकर भारत ने अपने पुराने भरोसेमंद साथी रूस को भी नाराज किया।
प्रकाश आंबेडकर ने कहा, “जब सेना ने ऐतिहासिक सफलता पाई थी, तब सरकार को पूरी दुनिया में भारत का पक्ष मजबूती से रखना चाहिए था। लेकिन उल्टा अमेरिका की झूठी दोस्ती में फंसकर हमने अपनी रणनीति ही बदल दी। हमारी सेना के पराक्रम को कूटनीति ने पराजित कर दिया। युद्ध जीतकर भी पीछे हटने की नौबत आ गई।” उन्होंने सवाल किया “क्यों कोई भी मित्र देश भारत के साथ नहीं खड़ा हुआ? क्यों अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश पाकिस्तान को हथियार बेचने लगे? क्या यह हमारी कूटनीति की हार नहीं है?”
उन्होंने कहा, “अमेरिका पिछले 70 साल से पाकिस्तान को पैसे और हथियार देता आया है। इसके बावजूद मोदी सरकार अमेरिकी झांसे में आ गई। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूस ने मदद की पेशकश की थी, लेकिन हमारी सरकार ने उसे ठुकरा दिया। आज वही रूस और चीन पाकिस्तान के साथ खड़े हैं।” आंबेडकर ने कहा कि देश की सुरक्षा से ज्यादा सरकार को अपनी छवि और प्रचार की चिंता रही। उन्होंने कहा “देशहित से ज्यादा मोदी सरकार को अपनी तस्वीर चमकाने की फिक्र है। सैनिकों का बलिदान उनके लिए एक प्रचार अवसर से ज्यादा कुछ नहीं।”
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एडवोकेट प्रकाश ऊर्फ बालासाहब आंबेडकर ने कहा, “सरकार की विदेश नीति में गहरा विरोधाभास है। यहूदियों के नरसंहार के जिम्मेदार हिटलर की सोच को यहां की कट्टर ताकतें अपनाए हुए हैं, लेकिन वहीं इजराइल से दोस्ती की नौटंकी भी कर रही हैं। यह पाखंड देश के लिए खतरनाक है।”
उन्होंने कहा, “आज भारत सरकार इजराइल का पक्ष लेकर ईरान से दुश्मनी मोल ले रही है। यह वही सरकार है जो हर मौके पर 36 के आंकड़ों वाली राजनीति खेलती है। जो दुश्मन हैं, उनसे भी दोस्ती का दिखावा करती है और जो दोस्त हैं, उन्हें नाराज कर देती है।”
उन्होंने कहा, “सरकार की नीति में देशहित का स्थान सबसे नीचे है। सबसे ऊपर सत्ता और प्रचार है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के पास पाकिस्तान को तोड़ने और आतंकवाद की समस्या को हमेशा के लिए खत्म करने का अवसर था। लेकिन हमारे नेता अमेरिकी सरकार के सामने नतमस्तक हो गए। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा?”
आंबेडकर ने जनता से अपील की, “देशवासियों को यह समझना होगा कि कौन सच्चाई बता रहा है और कौन सिर्फ प्रचार में माहिर है। हमें यह सवाल पूछना होगा – क्यों भारतीय सेना की सफलता को कूटनीति ने विफल कर दिया? क्यों सैनिकों के बलिदान का ऐसा अपमान हुआ? आगामी चुनाव में जनता को इसका हिसाब जरूर मांगना चाहिए।”