सिर्फ नाम का तिरोड़ा उपजिला अस्पताल (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia News: तिरोड़ा तहसील के उपजिला अस्पताल की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। हालांकि सरकार ने यहां आठ एमबीबीएस डॉक्टरों के पद स्वीकृत किए हैं, लेकिन वास्तव में ये डॉक्टर मौजूद ही नहीं हैं। इसलिए, ओपीडी विभाग में आने वाले नागरिकों की जांच केवल बीएएमएस और बीएचएमएस डॉक्टर ही करते हैं। इस पृष्ठभूमि में नागरिकों ने सरकार से सवाल किया है कि 8 एमबीबीएस डॉक्टर कहां हैं।
आरोप लगाया जा रहा है कि यहां के उपजिला अस्पताल में 8 एमबीबीएस डॉक्टरों के पद होने के बावजूद वे वास्तव में मौजूद ही नहीं हैं। ओपीडी में जांच केवल बीएएमएस और बीएचएमएस डॉक्टर ही करते हैं.। यह अस्पताल केवल नाम का है और नागरिकों को अपेक्षित सुविधाओं, विशेषज्ञ डॉक्टरों और कई शल्य चिकित्सा प्रणालियों के अभाव से परेशानी हो रही है।
इस अस्पताल में सर्जरी शुरू करने के लिए मरीजों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। अक्सर जरूरी विशेषज्ञों या उपकरणों की कमी के कारण सर्जरी टाल दी जाती है.। जब किसी डॉक्टर का पद खाली होता है, तो उसे भरने में कई दिन लग जाते हैं और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। अस्पताल में आधुनिक व्यवस्थाओं, जांच उपकरणों, विशेषज्ञ डॉक्टरों और शल्य चिकित्सा विभाग का अभाव है। इस वजह से नागरिक अक्सर बाहर से दवाइयां खरीदते हैं।अस्पताल में जरूरी विशेषज्ञ, आधुनिक उपकरण, शल्य चिकित्सा प्रणाली, दवाओं का भंडार और असली एमबीबीएस डॉक्टरों का होना जरूरी है।
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तिरोड़ा के जितेंद्र कटरे ने कहा कि इस पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। इसे उपजिला अस्पताल का दर्जा प्राप्त है। इस अस्पताल में इलाज के लिए तहसील के कई गांवों से मरीज आते हैं। लेकिन, सुविधाओं की कमी और एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी के कारण उन्हें अपेक्षित इलाज नहीं मिल पाता। यहां के उपजिला अस्पताल में कई सुविधाओं और सेवाओं का अभाव है। इसलिए आम नागरिक सेवाओं से वंचित हैं. यहां तक कि सामान्य ओपीडी में भी कोई एमबीबीएस डॉक्टर नहीं है।
तिरोड़ा उपजिला अस्पताल चिकित्सा अधिकारी राहुल शेंडे ने कहा किउपजिला अस्पताल में ओपीडी प्रतिदिन सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 बजे से 5 बजे तक खुली रहती है। उस ओपीडी में एक एमबीबीएस डॉक्टर मौजूद रहता है।