बाघ का आतंक (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Gondia News: गोंदिया जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में तेंदुए व बाघ की बढ़ती गतिविधि और हमलों के कारण नागरिकों में भारी दहशत फैल गई है। इससे खेती और पशुधन के नुकसान के साथ ही जनहानि का भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। नागरिकों की ओर से बाघ/तेंदुआ नियंत्रण के लिए वन विभाग से ठोस और स्थायी उपाय करने की मांग की जा रही है।
तहसील के ग्रामीण क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से बाघ का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। खेतों और जंगल के किनारे बंधे मवेशियों पर हमले लगातार सामने आ रहे हैं, जिसके कारण किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। कुछ दिन पहले ही खोडगांव के किसानों की खेत में बंधे मवेशी व गाय का शिकार बाघ द्वारा किया गया। निमगांव-इंदोरा में तेंदुए द्वारा एक डरावना हमला हुआ।
खेत में पिता के साथ गई 9 वर्षीय मासूम बच्ची रुची पारधी पर कथित रूप से घात लगाए तेंदुए ने हमला किया। इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई। पिछले कुछ सप्ताह में तहसील के अन्य गांवों जैसे बुचाटोला और रुस्तमपुर में भी तेंदुआ/बाघ के विचरण की सूचनाएं मिली हैं। एक किस्से में, एक किसान खेत में काम कर रहा था, और लगभग सिर्फ दस-फीट की दूरी पर एक तेंदुआ झाड़ी में बैठा दिखा। अगर उस व्यक्ति की किस्मत नहीं चलती तो यह घटना जानलेवा हो सकती थी।
हाल ही में ग्राम इसापुर के एक चारवाहे रविंद्र कुंभलकर ने गाय को चराने नाले किनारे ले गया था। इस दौरान सुबह 10 बजे बाघ ने हमला कर दिया। उस वक्त रविंद्र भागने में सफल हो गया जिससे उसकी व गाय की जान बच गई। किसान और खेत मजदूर सुबह-सुबह कृषि कार्य करने खेतों में जाते हैं। लेकिन बाघ की मौजूदगी के चलते यह कार्य जान हथेली पर रखकर करना पड़ रहा है। लोगों में इतनी दहशत है कि बाहर जाने से भी से कतरा रहे हैं।
पिछले कई दिनों से तेंदुए व बाघ ने किसानों की बकरियां व अन्य पालतू पशुओं पर हमला कर उन्हें मार डाला है। पालतू जानवरों पर तेंदुए के हमले लगातार जारी हैं। इसी बीच अब तेंदुए द्वारा इंसानों पर हमले की घटनाएं भी सामने आने लगी हैं। पिछले कुछ दिनों में तेंदुओं के इंसानों पर होने वाले हमलों में लगातार वृद्धि हुई है। रात के समय नागरिक तेंदुए के डर के साए में घर से बाहर निकलने डर रहे हैं।
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इस पृष्ठभूमि पर वन विभाग को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। भविष्य में यदि तेंदुओं की संख्या इसी तरह बढ़ती रही और मनुष्यों पर हमले भी जारी रहे, तो ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों के लिए जीना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसी तीव्र प्रतिक्रिया जनता के बीच व्यक्त की जा रही है। ‘तेंदुआ चाहिए या इंसान?’ – इसका जवाब वन विभाग को देना ही होगा।