फसल (सौजन्य-नवभारत)
Gondia News: 8 व 9 सितंबर को गोंदिया जिले में हर जगह बारिश दर्ज की गई। एक-डेढ़ घंटे तक हुई बारिश ने धान की फसल को संजीवनी दे दी है और अब अधिक उत्पादन के लिए खाद का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन इस सीजन में बारिश अभी भी औसत से कम है। खरीफ सीजन में धान की फसल लगाने का लक्ष्य पूरा हो गया है। लेकिन, पिछले सप्ताह से बारिश की तीव्रता कम हुई है।
इस वर्ष पिछले साल से 62.2 मिमी बारिश कम हुई है। इसके अलावा, भारतीय मौसम विभाग ने कहा था कि 3 सितंबर तक बारिश की तीव्रता बढ़ेगी। साथ ही, जिले सहित कुछ स्थानों पर येलो अलर्ट घोषित किया गया था, लेकिन मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, जिले में बारिश की तीव्रता नहीं दिखाई दी। खरीफ सीजन में 1220.3 मिमी बारिश होने की उम्मीद है।
आज तक 1080.6 मिमी बारिश होने की उम्मीद थी, लेकिन 1019.0 मिमी बारिश हुई है। यह 61.6 मिमी बारिश औसत से कम है। पिछले साल आज तक कुल 1081.2 मिमी बारिश हुई थी। पिछले 24 घंटों में जिले के सभी तहसीलों में केवल 18.8 मिमी बारिश दर्ज की गई है। खरीफ सीजन में धान की फसल बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। मुख्य फसल की खेती का लक्ष्य पूरा हो चुका है।
लेकिन, पिछले सप्ताह से बारिश की तीव्रता धीमी हो गई है, लेकिन धान की फसल पर पानी का संकट अभी भी जारी है क्योंकि बारिश कम हो रही है और मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार बारिश का असर नहीं दिख रहा है। परिणामस्वरूप, औसत बारिश कम है और खरीफ सीजन में मानसून की बारिश पर निर्भर रहने वाले किसानों पर इसका असर पड़ने की संभावना है। इसी तरह, सोमवार व मंगलवार से बीच-बीच में हो रही बारिश से धान फसल को संजीवनी मिली है।
खरीफ सीजन की धान की फसल की रोपाई को पखवाड़ा हो चुका है। इसी प्रकार, खरीफ सीजन के लिए फसल कीट सर्वेक्षण व परामर्श प्रकल्प का क्रियान्वयन भी शुरू हो गया है। विभाग की सभी क्षेत्रीय प्रणालियों के माध्यम से प्रत्येक गांव में किसानों के खेतों में जाकर धान की फसलों का नियमित सर्वेक्षण किया जाता है और यदि कीट रोग का प्रकोप पाया जाता है, तो किसान को तुरंत उस कीट रोग के नियंत्रण के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है।
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वर्तमान में धान की फसल में तना छेदक, करपा, गादमाशी जैसे कीटों का प्रकोप बढ़ रहा है। क्षेत्रीय प्रणालियों के माध्यम से किसानों के खेतों में नियमित सर्वेक्षण कर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। अतः किसानों से अपील की गई है कि वे कृषि विभाग के संपर्क में रहें और कीट प्रकोप से बचाव के लिए सलाह लें।