सर्पमित्र (सौजन्य-नवभारत)
Gondia News: गोंदिया जिले में कई सर्पमित्र सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ देते हैं, वे सांपों के साथ ही नागरिकों की जान बचाते हैं, लेकिन उन्हें सरकार की ओर से कोई मदद नहीं दी जाती है, सर्पमित्र को सरकारी योजना का शाश्वत कवच नहीं मिलता है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत हर सांप भी कानूनी रूप से संरक्षित है। इतना ही नहीं, जिस तरह बाघ, भालू व तेंदुआ को परेशान करने वाले या मारने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है।
उसी तर्ज पर सांप को परेशान करना या मारने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाती है लेकिन हकीकत यह है कि न केंद्र और न ही राज्य सरकार ने सर्पमित्र को कोई सुरक्षा दी हैं। अचरज की बात है कि जो सर्पमित्र प्रत्येक सांप के अस्तित्व व उसके निवास स्थान पर लौटने के लिए जान हथेली पर रखकर प्रयास कर रहे हैं। उनके बारे में सरकार नहीं सोच रही है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 संशोधन अधिनियम 2002 के तहत सांपों व अन्य वन्यजीवों को मारना, उनके आवास को नुकसान पहुंचाना, उनकी तस्करी या उनकी खाल उतारना, कैद में रखना आदि अपराध हैं। ऐसे अपराधियों को अधिकतम 7 साल का सश्रम कारावास और 25,000 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती हैं।
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जंगली सूअर, बाघ, भालू, तेंदुआ व अन्य जंगली जानवरों को चोट लगने से सरकारी सहायता मिलती है। बाघ, तेंदुआ, भालू, जंगली सूअर आदि जैसे जंगली जानवरों द्वारा घायल, गंभीर रूप से घायल या मारे जाने पर परिवार को सरकारी सहायता प्रदान की जाती है लेकिन विचारणीय यह है कि सांप व समाज दोनों के प्राणों की रक्षा करनेवाले सर्पमित्रों को व उनके परिवार को किसी तरह की सरकारी सहायता का कोई प्रावधान नहीं है।