नवेगांवबांध-सानगड़ी लाइन प्रोजेक्ट विवादित (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Navegaonbandh: केंद्र सरकार की जीरो ब्रेकडाउन पॉलिसी के तहत मंजूर नवेगांवबांध-सानगड़ी विद्युत लाइन प्रोजेक्ट को लेकर इन दिनों गोंदिया जिले में चर्चा जोरों पर है। वोल्टेज ड्राफ्ट की समस्या को दूर करने तथा ग्रामीण इलाकों को निरंतर बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए यह काम शुरु किया गया था। लेकिन, प्रोजेक्ट स्थल पर हो रहे कार्यों को देखकर स्थानीय नागरिकों ने इसकी गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। वर्तमान में भिवखिड़की, बाराभाटी, परसोडी व झांसीनगर गांवों में लाइन बिछाने का काम चल रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार व विभागीय अधिकारी मिलकर केंद्र सरकार की निधि का दुरुपयोग कर रहे हैं। निर्धारित गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं हो रहा और खंभों की मजबूती संदिग्ध है। गोंदिया जिला ओबीसी सेल अध्यक्ष किशोर तरोने ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि नियम के अनुसार जंगरोधक लोहे के खंभे लगाए जाने चाहिए थे, लेकिन उनकी जगह घटिया काले लोहे के खंभे लगाए जा रहे हैं। उन्हें रेड ऑक्साइड व सिल्वर पेंट तक सही तरह से नहीं किया गया और हल्के सीमेंट-क्रांक्रिट में गाड़ा गया है।
यह सीधा जनता के पैसों की लूट है। सरकार को इसकी उच्च स्तरीय जांच करनी चाहिए। इस मामले में अर्जुनी मोरगांव महावितरण के उपकार्यकारी अभियंता पाटिल का कहना है कि प्रोजेक्ट में जैसा लिखा है वैसा ही काम किया जाता है। उनके अनुसार खंभे 10 से 11 मीटर लंबे होते हैं और उन्हें 4 से 5 फुट की गहराई तक डाला जाता है। साथ ही रेड ऑक्साइड व सिल्वर पेंट किया जाता है और सीमेंट-कांक्रिट से मजबूती दी जाती है।
पाटिल का तर्क है कि जंगरोधक खंभे तभी लगाए जाते हैं जब प्रोजेक्ट रिपोर्ट में उनका उल्लेख हो। वहीं प्रोजेक्ट का प्रत्यक्ष काम देख रही पॉलीकैब कंपनी के गोंदिया सर्कल प्रभारी लोकेश दादोरिया ने भी आरोपों को नकारा। उनका कहना है कि सड़क किनारे खेत होने की वजह से किसानों की आपत्ति के चलते खंभे बीच सड़क से 4 से 6 मीटर की दूरी पर लगाए जा रहे हैं। इस्तेमाल की गई सामग्री एम।एस। (माइल्ड स्टील) है और रेड ऑक्साइड पेंट लगाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार ही काम किया जा रहा है और कठिनाइयों के बावजूद कंपनी प्रोजेक्ट पूरा करने का प्रयास कर रही है।
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इन स्पष्टीकरणों के बावजूद नागरिकों का सवाल है कि जब केंद्र सरकार ने निधि व मार्गदर्शक निर्देश दिए हैं, तो घटिया दर्जे का काम क्यों किया जा रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि अधिकारियों, ठेकेदार व कंपनी की मिलीभगत से निधि का दुरुपयोग हो रहा है। लोग यह भी आशंका जता रहे हैं कि भविष्य में खंभे कमजोर साबित होंगे और बिजली आपूर्ति फिर बाधित होगी।