राजपत्रित अधिकारियों का सामूहिक आंदोलन (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia News: महाराष्ट्र विकास सेवा राजपत्रित अधिकारी संगठन की ओर से मनरेगा और घरकुल योजनाओं में जिम्मेदारी तय करने की मुख्य मांग को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश आंदोलन शुरू किया गया है। इस आंदोलन में जिला परिषद प्रशासन में कार्यरत सभी विकास सेवा राजपत्रित अधिकारियों ने सहभागिता दर्ज की। संगठन के अध्यक्ष एवं जिप सामान्य प्रशासन विभाग के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी फरेंद्र कुतिरकर का कहना है कि सरकार स्तर पर मांगें मान्य किए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलन में संगठन के मुख्य सलाहकार एवं अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. तानाजी लोखंडे, जिला ग्रामीण विकास यंत्रणा की प्रकल्प संचालक प्रमिला जाखलेकर, संगठन के उपाध्यक्ष एवं पंचायत विभाग के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी मधुकर वासनिक, नरेगा के गुट विकास अधिकारी डी. एस. लोहबरे, कोषाध्यक्ष तथा सालेकसा के गुट विकास अधिकारी संजय पुरी, गुट विकास अधिकारी जितेंद्र देवरे (गोंदिया), संघमित्रा कोल्हे (तिरोड़ा), विजय लोंढे, पल्लवी वाडेकर, सतीश लिल्हारे, एस.आई. वैद्य, एच.वी. गौतम, डी.एम. खोटेले सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
अधिकारियों का कहना है कि मनरेगा और घरकुल योजना में तकनीकी प्रक्रियाओं और ठेका कर्मचारियों से जुड़े कार्य में किसी भी तरह की गलती होने पर गुट विकास अधिकारियों पर ही सीधे जिम्मेदारी तय कर दी जाती है, जिससे उन्हें मानसिक और प्रशासनिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसे लेकर अधिकारियों में रोष है।
संगठन ने मांग रखी है कि गुट विकास अधिकारी, जो महाराष्ट्र विकास सेवा की रीढ़ हैं, उन्हें सुरक्षित और उपयुक्त कार्य वातावरण उपलब्ध कराया जाए। जब तक किसी गलती का ठोस सबूत न हो, तब तक उनके खिलाफ सीधे मामला दर्ज या गिरफ्तारी न की जाए। साथ ही तकनीकी अधिकारियों और संविदा कर्मचारियों के बीच जिम्मेदारी का स्पष्ट बंटवारा करते हुए संरक्षणात्मक नीति घोषित की जाए। इस संबंध में संगठन ने जिलाधिकारी के माध्यम से ग्राम विकास विभाग के प्रधान सचिव को ज्ञापन सौंपा है।
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1 दिसंबर को आर्वी पंचायत समिति की गुट विकास अधिकारी सुनीता मरस्कोल्हे को प्राथमिक जांच से पहले ही गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा, 7 से 8 अन्य गुट विकास अधिकारियों की गिरफ्तारी की आशंका जताई जा रही है। इस घटना का विरोध करते हुए, 2 दिसंबर को राज्यभर के राजपत्रित अधिकारियों ने सरकार से समाधान की मांग की। वहीं 4 और 5 दिसंबर को महाराष्ट्र विकास सेवा अधिकारी संघों द्वारा सामूहिक अवकाश आंदोलन किया गया।