टीईटी परीक्षा (सौ. सोशल मीडिया )
Gondia News In Hindi: कक्षा 1 से 8वीं तक पढ़ाने वाले प्राथमिक शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के फैसले ने शिक्षकों में डर का माहौल पैदा कर दिया है। इस फैसले के अनुसार, अब शिक्षकों के लिए ‘शिक्षक पात्रता परीक्षा’ पास करना अनिवार्य होगा। टीईटी परीक्षा उन शिक्षकों के लिए अग्निपरीक्षा होगी जो सेवानिवृत्ति के कगार पर है।
इस फैसले को सरकार द्वारा परीक्षा का डर दिखाकर शिक्षकों को सेवानिवृत्त होने के लिए मजबूर करने की एक कुटिल चाल बताया जा रहा है। इस फैसले के अनुसार, न्यायालय ने उन शिक्षकों को राहत दी है जिनकी सेवानिवृत्ति में 5 साल बाकी हैं। लेकिन, पदोन्नति के लिए टीईटी परीक्षा अनिवार्य कर दी गई है। इसके कारण, कई वर्षों से बच्चों को पढ़ा रहे और पचास वर्ष से अधिक आयु के शिक्षकों के सामने अब पढ़ाई और परीक्षा पास करने की एक नई चुनौती है।
इसलिए, शिक्षकों का पीछा करने वाली परीक्षा अभी खत्म नहीं हुई है। हालांकि सरकार का कहना है कि 2 मई 2012 के बाद बिना टीईटी के कोई भी शिक्षक नहीं बन सकता, लेकिन नियमानुसार शिक्षक बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए? सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जिम्मेदारी संभालते हुए जनगणना, सभी प्रकार के चुनाव, नव साक्षरता अभियान, आउट ऑफ स्कूल सर्वे, यू-डाइस प्लस, स्कूल पोषाहार, आधार कार्ड अपडेट, विभिन्न समितियों के रिकॉर्ड, छात्रवृत्ति परीक्षा आदि जैसे ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यों के बोझ तले दबे शिक्षक के लिए नई परीक्षा आयोजित करना उचित नहीं है। कहा जा रहा है कि इस पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।
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सभी स्कूलों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। अल्पसंख्यक स्कूलों को छोड़कर, अन्य सभी शिक्षकों को सेवा में बने रहने के लिए टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। जिन शिक्षकों की नियुक्ति शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने से पहले हुई थी और जिन्होंने 20 से 30 साल तक सेवा की, अपनी पूरी क्षमता से सभी छात्रों को पढ़ाया, ऐसे छात्रों ने जीवन में सफलता प्राप्त की है। इसलिए, ऐसे शिक्षकों को सेवा से हटाना गलत होगा।