खरीदी केंद्र में रखा धान (फोटो नवभारत)
Gondia Guardian Minister Meeting: गाेंदिया जिले के पालकमंत्री 12 सितंबर को जिला प्लानिंग कमेटी की सभा में उपस्थित रहेंगे। पालकमंत्री का अर्थ ही यह होता है कि जिले की जनता का पालक, तब रबी धान उत्पादक किसानों ने सरकार द्वारा घोषित नियम अनुसार धान सरकारी आधारभूत केंद्र पर बेचा है।
गाेंदिया के किसानों का 239 करोड़ रुपए अप्रैल माह में बेचा हुआ धान का सरकार पर बकाया है। इसमें 27,522 जिले के किसानों का रुपया सरकार पर बकाया रहने से बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। यह गुहार आखिर किसके पास लगाए, यह सवाल किसानों द्वारा किया जा रहा है।
रबी धान उत्पादक किसानों ने सरकारी आधारभूत धान खरीदी केंद्रों पर धान भेज दिया। इन्हें धान केंद्र पर लाने के लिए मोबाइल पर मैसेज आया, तब इन्होंने धान भेजा, मापतौल हो गया। इसी दौरान केंद्र की खरीदी की सीमा खत्म हो जाने से जिले के 10,506 धान उत्पादक किसान धान बेचने से वंचित रह गए।
इन किसानों को यह चिंता सता रही है कि यह धान सरकारी खरीदी केंद्र पर रबी के सीजन में नहीं चढ़ पाया तो खरीफ में निकलने वाली फसल के वक्त नये ई-पीक किए हुए 7/12 पर चढ़ेगा व खरीफ की धान फिर किस 7/12 पर चढ़ेगा। बगैर सात/बारा के धान बेच ही नहीं पाते।
सरकारी खरीदी आधारभूत केंद्र पर तब खरीफ का धान खुले मंडी में बेचना पड़ेगा। जहां पर धान का भाव आधारभूत खरीदी केंद्र की एमएसपी न्यूनतम मूल्य से 400 से 500 रुपए प्रति क्विंटल भाव कम रहता है। यह चिंता किसानों के मन में घर करके बैठी है।
किसानों की पालकमंत्री से विशेष मांग है कि सरकार के पास पैसे नहीं है तो अन्य योजनाएं बंद करे व बजट लगाए। लेकिन अन्नदाता किसान का बकाया रुपए अवलिंब दे। 5 माह से किसान बांट जोह रहा है व खरीदी केंद्रों पर भेजा गया धान लिमीट बढ़ाकर तुरंत किसानों के 7/12 अनुसार रिकार्ड चढ़ाए व जिले के किसानों को राहत दिलाए।
किसानों ने मेहनत कर रात-दिन एक कर खेती में पकाया हुआ धान बेचा है। उसी का पैसा मांग रहा है। इसके लिए इतना कष्ट परेशानी झेलने का आज कई वर्षों के बाद पहला अवसर है। सरकार के पास बहोत पैसा है, ऐसी घोषणाए होती है। तब इस तरह की किसानों के साथ किल्लत खड़ी करने का क्या मतलब है।
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यह तो बेची हुई सरकार के रिकार्ड में आ चुकी धान बेचने वाले किसानों का ऐसा हाल है तो दूसरी ओर जिन किसानों ने खरीदी केंद्रों पर ऑनलाइन होने पर धान भेज दिया, केंद्र चालक ने मापतौल कर अपने गोदाम में रख लिया लेकिन सरकारी रिकार्ड में चढ़ा नहीं है, उन किसानों की तो नींद उड़ चुकी है।
जनप्रतिनिधियों के द्वारा बताए जा रहे व सोशल मीडिया पर वक्तव्य पर नजरे गड़ाएं हुए हैं। तारीख पर तारीख घोषित हो रही है। फिर भी किसान उम्मीद पर फसल उत्पादन की बांट जोड़ता है। उसी तरह खरीदी की लिमीट बढ़ने की आस लगाए चातक जैसा देख रहा है।