बिजली की पुरानी तारें (सोर्स: सोशल मीडिया)
Gondia Electricity Problems: गोंदिया शहर का दिन-प्रतिदिन विस्तार हो रहा है। साथ ही, जनसंख्या भी बढ़ रही है। शहर के विभिन्न हिस्सों में 40 से 50 साल पहले लगी बिजली की लाइनें हैं। उन लाइनों पर दबाव के कारण, दिन भर बिजली आते-जाते रहती है। इसका खामियाजा शहर के बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
विद्युत वितरण कंपनी अपर्याप्त सुविधाएं प्रदान कर रही है। अस्थायी उपाय करके उपभोक्ताओं को राहत देने वाली विद्युत वितरण कंपनी के प्रति नागरिक लगातार असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। समय-समय पर बढ़े हुए बिलों का भुगतान करने वाली विद्युत वितरण कंपनी सड़े हुए खंभों और लटकती बिजली लाइनों की अनदेखी कर रही है।
विद्युत वितरण कंपनी द्वारा हाई-वोल्टेज और लो-वोल्टेज के खंभे लगाए गए हैं। 40 से 50 साल पहले लगे खंभों में अब जंग लग गया है। कुछ स्थानों पर खंभे गिर गए हैं और लाइनें भी झुक रही हैं। इसके बाद से ग्रामीण क्षेत्रों में खतरा बढ़ने लगा है।
गोंदिया के ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून के मौसम में कई बार बिजली गुल हो जाती है, जिससे अंधेरा छा जाता है। बिजली के तार टूट जाते हैं और कई बार शॉर्ट सर्किट हो जाता है। टूटे तारों के कारण जानवरों के मरने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। खेतों में लटके बिजली के तारों से फसलों के जलने का भी खतरा है। पेड़ों और बेलों से बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।
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टूटे बिजली के तारों से होने वाले नुकसान को किसानों को उठाना पड़ रहा है। बिजली वितरण कंपनी इसका मुआवजा भी नहीं दे रही है। गोंदिया शहर सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर ट्रांसफार्मर और बिजली के खंभे पेड़ों और बेलों से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
मानसून के मौसम में इन क्षेत्रों में बिजली गुल होने की भी कई घटनाएं होती हैं। इसलिए मांग है कि जंग लगे बिजली के खंभों, खुले डीपी बॉक्स की मरम्मत की जाए या उन्हें बदला जाए। सरकार ने शहर में पुरानी बिजली लाइनों को नई लाइनों से बदलने और भूमिगत बिजली व्यवस्था स्थापित करने का फैसला किया है। पिछले कई सालों से इस पर चर्चा चल रही है। लेकिन, अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये काम कब शुरू होंगे?