गोरेगांव. करोड़ों रु. खर्च कर कलपाथरी मध्यम प्रकल्प तैयार किया गया. इसके लिए हजारों किसानों ने अपनी जमीन दी है. लेकिन प्रकल्प के लाभ से अनेक किसान वंचित है. जिससे कलपाथरी मध्यम प्रकल्प सफेद हाथी साबित हो रहा है.
शासन द्वारा 1915 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई हो इस उद्देश्य से यह प्रकल्प तैयार किया गया था. जबकि वर्तमान में इस प्रकल्प से केवल 500 हेक्टर क्षेत्र को ही लाभ मिल रहा है. वहीं शेष 1415 हेक्टर क्षेत्र के किसान इस प्रकल्प की सुविधा से वंचित है.
गोरेगांव तहसील में सिंचाई के साधन नहीं है. जिससे इस क्षेत्र की खेती बारिश के पानी पर निर्भर है. बारिश के दगा देने पर हर वर्ष किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है. किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो इस उद्देश्य से कलपाथरी मध्यम प्रकल्प को मंजूरी दी गई है. इसके लिए शासन ने पर्याप्त निधि भी उपलब्ध करा दी है.
जिससे अब अपने गांवों को शाश्वत सिंचाई की सेवा उपलब्ध होगी ऐसी अपेक्षा किसानों की थी. लेकिन उनका आशावाद व्यर्थ साबित हो गया. 1915 हेक्टर क्षेत्र सिंचाई में आएगा इस अपेक्षा से यह प्रकल्प तैयार किया गया फिर भी प्रत्यक्ष में प्रकल्प से 500 हेक्टर क्षेत्र में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो पाई है. इसमे अब भी 1415 हेक्टर क्षेत्र में किसान सिंचाई की प्रतीक्षा में है.
इस कलपाथरी प्रकल्प का पानी वर्तमान में नहर के माध्यम से मोहाड़ी, बबई, कमरगांव व चोपा स्थित किसानों तक पहुंचाया जा रहा है. जबकि शेष तेलनखेडी, घुमर्रा, पलखेड़ा, तुमसर, निंबा, तेढा, तिल्ली, मोहगांव, हौसीटोला आदि गांव के किसानों तक इस प्रकल्प का पानी नहीं पहुंच रहा है. इन गांवों के लिए तैयार किए गए नहरों की उंचाई अधिक होने से इन गांवों को पानी नहीं मिल रहा है. जबकि हिराटोला, महागांव, देवाटोला, पंचवटी, दवडीपार, बोटे, झांजिया नहर तैयार की गई है. वह भी नादुरुस्त होने से प्रकल्प का पानी नहीं पहुंच रहा है. यह समस्या अनेक वर्षो से है.
जिले के जनप्रतिनिधि सिंचाई को लेकर अनेक आश्वासन देते है. लेकिन कलपाथरी प्रकल्प का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. इसमें संबंधित विभाग के अधिकारी कॅनल दुरुस्ती की ओर दुर्लक्ष कर रहे है. जिसका असर किसानों पर पड़ रहा है. कलपाथरी प्रकल्प का लाभ 1915 हेक्टर सिंचाई को होगा. किसानों की समस्या हल होगी. वहीं जनप्रतिनिधियों व संबंधित विभाग के अधिकारियों की दुर्लक्षता से इस क्षेत्र के किसानों को प्रकल्प के पानी से वंचित रहना पड़ रहा है