गिरीश महाजन (pic credit; social media)
Nashik Guardian Minister Controversy: महाराष्ट्र की महायुति सरकार में रायगढ़ और नासिक जिले के पालक मंत्री पद पर घमासान जारी है। इन दोनों जिलों के मुख्यालय पर स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण को लेकर रस्साकशी चल रही थी। रायगढ़ में ध्वजारोहण का अधिकार नहीं मिलने से उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के मंत्री भरत गोगावले नाराज हो गए तो वहीं नासिक जिले में ध्वजारोहण का अधिकार नहीं मिलने से शिंदे की शिवसेना के दादा भुसे के साथ-साथ अजीत पवार की राकां के वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल भी नाराज बताए जा रहे हैं।
नासिक के पालक मंत्री पद को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ध्वजारोहण मैने किया है ना, ऐसा कहते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी मंत्री गिरीश महाजन ने तमाम नाराज लोगों के जख्मों पर नमक रगड़ने का काम किया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार 2.0 के अस्तित्व में आने के बाद मंत्री गोगावले, रायगढ़ के तो वहीं दादा भुसे नासिक का पालक मंत्री बनने का सपना देख रहे थे। लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गिरीश महाजन को नासिक का और अदिति तटकरे को रायगढ़ जिले का पालकमंत्री घोषित कर दिया था।
इस पर डीसीएम शिंदे ने अपने मंत्रियों की नाराजगी को देखते हुए फडणवीस के समक्ष रायगढ़ और नासिक के पालक मंत्री पद को लेकर ऐतराज जताया था। नतीजतन सीएम फडणवीस ने नासिक और रायगढ़ जिले में अदिति और महाजन के पालकमंत्री घोषित किए जाने के निर्णय को स्थगित कर दिया था। लेकिन फडणवीस ने 1 मई और 15 अगस्त को महाजन को नासिक जिला मुख्यालय एवं रायगढ़ जिला मुख्यालय पर अदिति तटकरे को ध्वजारोहण का सम्मान देकर गोगावले, भुसे और भुजबल को झटका दिया था।
नासिक के पालक मंत्री पद पर पेंच फंसे होने की वजह से स्वतंत्रता दिवस पर आधिकारिक ध्वज कौन फहराएगा? यह सवाल उठ रहा था। इसमें जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने जीत हासिल की। इस अवसर पर छगन भुजबल ने तंज कसते हुए कहा कि नासिक को सभी लोग चाहते हैं। लेकिन भले ही ही आप नासिक को चाहें लेकिन आपको अपने निर्वाचन क्षेत्र पर भी ध्यान देना चाहिए।
कहीं नासिक के चक्कर में जलगांव उपेक्षित न रह जाए। भुजबल के बयान पर मंत्री महाजन ने पलटवार करते हुए कहा है कि नासिक के पालक मंत्री के पद पर हमेशा चर्चा होती है। राज्य के मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री एक साथ बैठेंगे और इस संबंध में समाधान निकालेंगे। वे जो भी निर्णय लेंगे वह निश्चित रूप से स्वीकार्य होगा। इस पर बहुत ज्यादा चर्चा नहीं होनी चाहिए।
इसी के साथ उन्होंने भुजबल पर तंज कसते हुए कहा कि हम धीरे-धीरे झंडा फहराने के बिंदु पर पहुंच गए हैं। हम इसी तरह आगे का भी रास्ता खोज लेंगे। लेकिन मैंने कभी भी पालक मंत्री के पद की मांग नहीं की है। मैंने कभी भी किसी मांग के लिए किसी तरह का आंदोलन धरना या विरोध में नहीं बैठा। मैं वही काम करता रहा हूं जो पार्टी मुझे देती है।