नदी तट से जानलेवा सफर जारी
Sironcha News: सिरोंचा तहसील मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित रेगुंठा परिसर में करीब 20 गांव बसे हुए हैं। प्राणहिता नदी इस क्षेत्र को महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्य की सीमा से जोड़ती है। लेकिन नदी पर पुल निर्माण न होने के कारण नागरिकों को प्रतिदिन नदी पार कर लगभग 3 किलोमीटर का जोखिम भरा सफर करना पड़ता है। हर वर्ष यहां एक-दो बड़े हादसे दर्ज होते हैं, फिर भी प्रशासन की उदासीनता के चलते समस्या जस की तस बनी हुई है।
इस क्षेत्र में अधिकांशतेलुगु भाषी नागरिक रहते हैं। सुविधाओं के नाम पर यहाँ केवल कक्षा 10वीं तक एक ही हाईस्कूल और दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिनमें दवाइयों की कमी और स्वास्थ्यकर्मियों के रिक्त पदों के कारण चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ाई हुई है। खेती ही आमदनी का मुख्य स्रोत होने से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार के लिए तेलंगाना जाना पड़ता है।
प्राणहिता नदी पर कोटापल्ली (महाराष्ट्र) और वैमनपल्ली (तेलंगाना) को जोड़ने वाले पुल का निर्माण होने पर रेगुंठा ही नहीं, बल्कि जिमलगट्टा और उमानूर सहित लगभग 50 गांवों के नागरिकों को भी राहत मिलेगी। अनुमान है कि महाराष्ट्र की सीमा के 70 और तेलंगाना के 100 गांवों को इस पुल से पानी के ऊपर सुरक्षित आवागमन की सुविधा मिल सकती है। इसी कारण पुल निर्माण की मांग अब और अधिक तेज़ हो गई है।
प्राणहिता नदी में वर्षभर पानी रहता है, जिस कारण लगभग 250-300 लोगों को रोज नाव से यात्रा करनी पड़ती है। बरसात में नदी का जलस्तर बढ़ जाने के बाद भी नागरिकों को मजबूरी में जान हथेली पर रखकर ही यात्रा करनी पड़ती है। क्षेत्र में अस्पताल न होने के कारण गर्भवती महिलाएं और गंभीर मरीज भी नाव से तेलंगाना के अस्पतालों तक पहुँचते हैं।
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कोटापल्ली से 25 किमी दूरी पर आलापल्ली-सिरोंचा राष्ट्रीय महामार्ग तथा अहेरी-कोटापल्ली और कोटापल्ली-टेकड़ा मार्ग स्थित हैं। पुल बनने पर भारी वाहनों को तेलंगाना के मुख्य शहरों तक आवागमन में सुविधा मिलेगी और मंचेरियाल की दूरी घटकर 70 किमी रह जाएगी, जिससे व्यापार और स्वास्थ्य सुविधाएं भी बेहतर होंगी।