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नक्सली रणनीतियों को ‘भूपति’ ने दिया झटका, नक्सली अभियानों के मास्टरमाइंड का सरेंडर, दबाव में फैसला!

Naxalite Surrender: गड़चिरोली जिले में नक्सल आंदोलन को बड़ा झटका लगा जब संगठन के केंद्रीय समिति सदस्य भूपति ने अपने 60 साथियों सहित पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Oct 15, 2025 | 10:09 AM

नक्सली अभियान का मास्टरमाइंड भूपति (सौजन्य-नवभारत)

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Gadchiroli News: गड़चिरोली में पिछले दो दशकों से नक्सल आंदोलन में सक्रिय रहे वरिष्ठ नक्सल नेता भूपति के आत्मसमर्पण ने नक्सली संगठन की रणनीति को गहरा झटका दिया है। सुरक्षा बलों को चुनौती देने वाली कई नक्सली अभियानों की योजना बनाने में उसकी बड़ी भूमिका रही थी। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना की सीमावर्ती इलाकों में संगठन की पकड़ मजबूत करने में भूपति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।

मंगलवार को गड़चिरोली जिले में नक्सल आंदोलन को बड़ा झटका लगा जब संगठन के केंद्रीय समिति सदस्य भूपति ने अपने 60 साथियों सहित पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। कई वर्षों से जंगलों में सक्रिय रहे भूपति को संगठन के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिना जाता था। वह नक्सल संगठन की पॉलिट ब्यूरो और केंद्रीय समिति का प्रमुख पदाधिकारी भी था।

लगातार दबाव साबित हुआ निर्णायक

गड़चिरोली पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई, साथ ही सरकार की आत्मसमर्पण नीति ने भूपति और उसके संगठन पर दबाव बढ़ा दिया था। बताया जाता है कि भूपति ने संगठन के भीतर शस्त्र छोड़कर युद्धविराम का प्रस्ताव रखा था, लेकिन कुछ वरिष्ठ नक्सल नेताओं ने इसे ठुकरा दिया।

इससे नाराज होकर और निराशा में उसने अपने साथियों सहित आत्मसमर्पण करने का फैसला लिया। भूपति का यह कदम नक्सल आंदोलन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इस आत्मसमर्पण से सरकार की नक्सल-मुक्त मिशन को नई गति मिली है। पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों में जनजागरण अभियान चलाकर स्थानीय लोगों का विश्वास जीता, जिससे भूपति ने भी आत्मसमर्पण का निर्णय लिया।

पुनर्वसन नीति के तहत मिलेगी मदद

राज्य सरकार की पुनर्वसन नीति के अंतर्गत आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को आवश्यक सहायता दी जा रही है। इस योजना में उन्हें आर्थिक मदद, पुनर्वसन और समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का अवसर मिलता है। यह कदम नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। हाल के वर्षों में गड़चिरोली जिले में विकास कार्यों की गति तेज हुई है। सड़कों, शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं के माध्यम से सरकार ने जनता तक पहुंच मजबूत की है, जिससे नक्सल संगठन का प्रभाव लगातार घट रहा है।

नक्सल संगठन को मानसिक झटका

भूपति जैसे वरिष्ठ नेता के आत्मसमर्पण से नक्सली संगठन की रणनीति और मनोबल पर गहरा असर पड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके बाद दक्षिण गड़चिरोली और सीमावर्ती इलाकों में संगठन की पकड़ कमजोर पड़ जाएगी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आने वाले महीनों में और भी नक्सल नेता आत्मसमर्पण कर सकते हैं। इस घटना के बाद जिले के ग्रामीण इलाकों में राहत और उम्मीद का माहौल है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की नई आशा जागी है। लंबे समय से हिंसा की चपेट में रहे इलाकों के लिए यह आत्मसमर्पण घटना एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरी है।

यह भी पढ़ें – गड़चिरोली जिप पर 50 फीसदी से अधिक जगहों पर महिला, जिला परिषद के गुट निहाय आरक्षण ड्रॉ

स्वतंत्रता सेनानी का बेटा बना नक्सलवादी…

मालोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू का जन्म तेलंगाना के पेद्दापल्ली जिले के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता मालोजुला वेंकटय्या और माता माधुरम्मा दोनों स्वतंत्रता सेनानी थे। वेंकटय्या का 1997 में और माधुरम्मा का 2022 में निधन हो गया।

उनके बड़े भाई मालोजुला कोतेश्वर राव (किशनजी) भी नक्सलवादी नेता थे और 2011 में पश्चिम बंगाल में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए। भूपति ने पेदापत्ति की स्कूल से अपनी शिक्षा प्राप्त की और बाद में बी.कॉम. की डिग्री हासिल की। 23 वर्ष की आयु में उन्होंने नक्सल आंदोलन में प्रवेश किया और बाद में वे CPI (माओवादी) के केंद्रीय समिति और पोलिटब्यूरो के सदस्य बन गए

Mastermind naxalite operations sonu bhoopati surrenders decision under pressure

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Published On: Oct 15, 2025 | 10:09 AM

Topics:  

  • Gadchiroli
  • Gadchiroli News
  • Maharashtra
  • Naxalite Surrenders

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