
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: AI)
Gadchiroli Politics: दिवाली का त्योहार भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन गड़चिरोली अब भी दीयों की जगमगाहट से रोशन है। बेमौसम बारिश ने मौसम को ठंडा किया है, मगर गड़चिरोली का राजनीतिक माहौल फिलहाल काफी गर्म हो चुका है। नागरिक जहां दिवाली की मीठी यादों में खोए हैं, वहीं सभी राजनीतिक दल चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
जिला परिषद तथा नगर परिषद चुनावों की आहट के साथ ही जिलेभर में राजनीतिक समीकरण बदलने लगे हैं। पुराने दोस्त तथा नए गठबंधन के बीच रणनीतियों का तोलमोल शुरू हो गया है। हर दल अपनी तैयारी में जुटा है और इसी कारण गड़चिरोली की सियासत उफान पर है।
गड़चिरोली जिला परिषद तथा 3 नगर परिषद पर सत्ता बनाएं रखने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता धर्मरावबाबा आत्राम ने ‘स्वबल’ का नारा देते हुए कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू कर दिए हैं। वहीं भाजपा ने भी मिशन मोड़ में मोर्चाबंदी तेज कर दी है।
कांग्रेस भी सक्रिय है, जबकि शिवसेना (यूबीटी) तथा शिंदे गुट की चुप्पी ने कार्यकर्ताओं को असमंजस में डाल दिया है। भाजपा नेताओं ने जिले में बैठकों का सिलसिला बढ़ा दिया है। विकास को मुख्य मुद्दा बनाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश जारी है।
भाजपा का दावा है कि मोदी और फडणवीस के नेतृत्व में गड़चिरोली ने विकास की नई ऊंचाइयां छुई हैं। मगर विपक्ष इसे सिरे से नकारते हुए भाजपा पर हमलावर है। कांग्रेस ने शहर में बढ़ते भ्रष्टाचार, अधूरी सुविधाएं और महंगाई को चुनावी मुद्दा बना लिया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जनसभाओं के माध्यम से जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। इसी बीच धर्मरावबाबा आत्राम ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए चामोर्शी तथा देसाईगंज में विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित कर ‘स्वबल’ की हुंकार भरी, जिससे महायुति के नेताओं में हलचल मच गई है।
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शरद पवार गुट की तैयारी अभी अधूरी दिख रही है, जबकि दोनों शिवसेना गुटों ने अपने पत्ते खोलने से परहेज किया है। राजनीतिक विश्लेषक अब उनकी भूमिका पर नजरें टिकाए हुए हैं। दूसरी ओर, गड़चिरोली नगर परिषद चुनाव के लिए आंबेडकरी संगठन भी एकजुट हो रहे हैं, जिससे स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावी माहौल में और भी रंगत आ गई है।
नगर परिषद क्षेत्र में जनता के लिए असली चिंताएं कुछ और ही हैं। पानी की कमी, खराब सड़कें, ट्रैफिक जाम तथा कचरा प्रबंधन की दयनीय स्थिति। नागरिकों का कहना है, “राजनीतिज्ञ आपस में लड़ते हैं, मगर हमारा शहर नहीं बदलता।”
दिवाली के बाद भले ही मौसम में ठंडक हो, मगर राजनीति का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। हर पार्टी अपने उम्मीदवारों की खोज में जुटी है। वार्डवार बैठकें जारी हैं, और टिकट पाने की होड़ में कई नेता पार्टी में सक्रिय हो गए हैं। कुल मिलाकर, गड़चिरोली की सियासत में दिवाली की रोशनी के बाद अब चुनावी आग भड़क उठी है।






