गड़चिरोली चुनाव परिणाम (सौजन्य-नवभारत)
Gadchiroli Elections Result: गड़चिरोली जिले में संपन्न हुई गड़चिरोली, देसाईगंज तथा आरमोरी नगर परिषद की चुनावी प्रक्रिया में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर अपना वर्चस्व कायम रखा है। तीनों नगर परिषदों में भाजपा के नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवार विजयी हुए हैं और पिछली बार की तरह इस बार भी भाजपा सत्ता बनाए रखने में सफल रही है।
हालांकि, यह जीत पूरी तरह एकतरफा नहीं रही। कांग्रेस द्वारा दी गई कड़ी चुनौती इस चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू बनकर सामने आई है। विशेष रूप से देसाईगंज और गड़चिरोली नगर परिषदों में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी, जिससे राजनीतिक मुकाबला बेहद रोचक और प्रतिस्पर्धात्मक रहा। जिले की तीनों नगर परिषदों में अजित पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस के कुल 7 सदस्य निर्वाचित हुए हैं, जबकि शिंदे गुट की शिवसेना को 1 स्थानों पर सफलता मिली है।
भाजपा ने तीनों नगर परिषदों में सत्ता बनाए रखी है, किंतु चुनाव परिणाम यह संकेत देते हैं कि पार्टी के लिए आगे की राह पूरी तरह आसान नहीं है। शहरी क्षेत्रों में नागरिक समस्याएं—जैसे बेरोजगारी, बुनियादी ढांचे की कमी, पानी की समस्या, स्वच्छता और विकास की गति—मतदाताओं की नाराजगी का कारण बनीं।
कांग्रेस ने इन्हीं मुद्दों को केंद्र में रखकर स्थानीय स्तर पर प्रभावी प्रचार किया, जिसका असर मतों में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। कई प्रभागों में हार-जीत का अंतर बेहद कम रहा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा की जीत संगठनात्मक शक्ति और सत्ता के अनुभव का परिणाम तो है, लेकिन जन असंतोष को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भले ही कांग्रेस को सत्ता नहीं मिली, फिर भी यह चुनाव पार्टी के लिए पूरी तरह निराशाजनक नहीं रहा। गड़चिरोली नगर परिषद में पिछली बार कांग्रेस का केवल एक सदस्य निर्वाचित हुआ था, जबकि इस बार 5 अतिरिक्त सीटें कांग्रेस के खाते में आई हैं। इसके साथ ही भाजपा की सीटों में भी कमी आई है।
देसाईगंज और गड़चिरोली में कांग्रेस को मिले मजबूत जनसमर्थन से यह संकेत मिलता है कि यदि संगठन को और मजबूत किया गया, तो आने वाले समय में कांग्रेस जिले में पुनरुत्थान कर सकती है। ग्रामीण और शहरी मतदाताओं के बीच कांग्रेस को लेकर एक नई सकारात्मक सोच बनती दिख रही है।
गड़चिरोली नप चुनाव में प्रभाग क्रमांक 11 और नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवारों पर सभी की निगाहें टिकी थीं। इस प्रभाग में भाजपा विधायक डॉ। मिलिंद नरोटे के निकटवर्ती अनिल तिडके और राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) के नेता तथा विधायक धर्मराव आत्राम के करीबी लीलाधर भरडकर के बीच सीधा मुकाबला था। अंततः लीलाधर भरडकर ने बड़े अंतर से भाजपा उम्मीदवार को पराजित किया।
यह सीट दोनों विधायकों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी थी। जनसंपर्क, स्थानीय कार्यों और जनता के विश्वास के बल पर भरडकर ने जीत दर्ज की। हालांकि गड़चिरोली में भाजपा का नगराध्यक्ष पद का उम्मीदवार विजयी हुआ, लेकिन विधायक के करीबी उम्मीदवार की हार ने भाजपा के लिए इस जीत को आंशिक रूप से फीका कर दिया। इसी संदर्भ में राजनीतिक गलियारों में यह कहावत सार्थक होती दिखी—गढ़ आया, लेकिन सिंह गया।
इन नप चुनावों के परिणाम आगामी जिला परिषद, पंचायत समिति और विधानसभा चुनावों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। भाजपा के लिए यह परिणाम सत्ता की मजबूती तो दर्शाते हैं, लेकिन बढ़ते जन असंतोष को गंभीरता से लेने की चेतावनी भी देते हैं। कांग्रेस के लिए यह चुनाव आत्मविश्वास बढ़ाने वाला साबित हुआ है।
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वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर यह स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में वह निर्णायक भूमिका निभा सकती है। कुल मिलाकर, गड़चिरोली जिले में भाजपा का वर्चस्व कायम है, लेकिन राजनीतिक प्रतिस्पर्धा पहले से कहीं अधिक तीव्र हो गई है। आने वाले चुनावों में यह प्रतिस्पर्धा और भी दिलचस्प होने के संकेत दे रही है।
| नगर परिषद | कुल सदस्य | भाजपा | कांग्रेस | राकां (अजित पवार गुट) | शिवसेना (शिंदे गुट) | अन्य/परिवर्तन पैनल |
|---|---|---|---|---|---|---|
| देसाईगंज | 21 | 12 | 7 | 2 | – | – |
| गड़चिरोली | 27 | 15 | 6 | 5 | – | 1 (परिवर्तन पैनल) |
| आरमोरी | 20 | 15 | 4 | – | 1 | – |