हाथियों और बाघों का आतंक (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Gadchiroli News: गड़चिरोली जिले में इस समय जंगली हाथियों और बाघों की दहशत से हालात बेहद भयावह बन चुके हैं। हाथियों द्वारा धान की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है, वहीं बाघों के हमलों में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में किसान, मजदूर और ग्रामीण नागरिक भय के साए में जीवन जीने को मजबूर हैं। किसानों के सामने आज यह गंभीर सवाल खड़ा हो गया है कि, खेती करें या अपनी जान बचाएं।
पिछले एक वर्ष से आरमोरी, कुरखेड़ा, गड़चिरोली, चामोर्शी और धानोरा तहसीलों में हाथियों का खुलेआम विचरण जारी है। धान की फसल के मौसम में हाथियों के झुंड रात के समय गांवों के पास स्थित खेतों में घुसकर खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। कई स्थानों पर तैयार फसल, अनाज भंडार, बाड़, झोपड़ियां और खेती के औजार तक हाथियों द्वारा पूरी तरह नष्ट कर दिए गए हैं। लाखों रुपये के नुकसान के बावजूद किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।
दूसरी ओर जिले में बाघों का आतंक भी लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक हाथियों के हमलों में दो लोगों की तथा बाघों के हमलों में आठ लोगों की मौत हो चुकी है। जंगल से सटे गांवों के नागरिकों के लिए जंगल जाना, खेती करना और वन उत्पाद इकट्ठा करना तक जानलेवा साबित हो रहा है।
विशेष रूप से आदिवासी परिवारों की आजीविका पर सीधा संकट मंडरा रहा है। हाथी और बाघ के भय के कारण कई किसानों ने अब अपने खेतों की निगरानी करना भी बंद कर दिया है। रात के समय खेतों में जाना लगभग असंभव हो गया है, जिससे सिंचाई, रखरखाव और फसलों की सुरक्षा पूरी तरह ठप हो गई है। इसका सीधा असर जिले के कृषि उत्पादन पर पड़ रहा है।
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पहले से ही प्राकृतिक आपदाओं, कर्ज और महंगाई से जूझ रहे किसान अब वन्यप्राणियों की दहशत से पूरी तरह टूट चुके हैं। किसानों का आरोप है कि केवल निरीक्षण दौरे, पंचनामे, कागजी रिपोर्ट और अस्थायी आश्वासनों के अलावा कोई ठोस कार्रवाई जमीन पर नजर नहीं आ रही है। मुआवजा प्रक्रिया बेहद धीमी है और कई किसानों को आज तक नुकसान की भरपाई नहीं मिल पाई है।
किसान संगठनों की ओर से मांग की जा रही है कि हाथियों और बाघों का सुरक्षित रूप से जंगल में पुनर्वसन किया जाए, स्थायी सुरक्षा बाड़, सौर ऊर्जा से चलने वाली फेंसिंग, वन्यप्राणी नियंत्रण दल और त्वरित मुआवजा वितरण जैसी ठोस योजनाएं तुरंत लागू की जाएं। यदि सरकार ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो तीव्र आंदोलन छेड़े जाने की चेतावनी भी दी गई है।
जिले में खेती ही जीवन का मुख्य आधार है, लेकिन वन्यप्राणियों की दहशत से यही आधार कमजोर होता जा रहा है। यदि शासन ने समय रहते हस्तक्षेप कर किसानों की जान, फसल और आजीविका की रक्षा नहीं की, तो आने वाले समय में हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।