जब्त सागौन (फोटो नवभारत)
Gadchiroli Teak Smuggling News: वनरक्षक का कर्तव्य होता है प्रकृति की रक्षा करना, पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना और आने वाली पीढ़ियों के लिए हरित विरासत को सुरक्षित रखना। लेकिन जब यही रक्षक भक्षक बन जाते हैं, तो यह केवल अपराध नहीं बल्कि जनता के विश्वास से किया गया घोर विश्वासघात होता है। गड़चिराेली के चितलपल्ली वनउपज जांच नाके पर सामने आई हाल की सागौन तस्करी की घटना इसका जीवत उदाहरण है।
सागौन तस्करी में संलिप्तता पाए जाने के बाद वनविभाग द्वारा एक वनरक्षक पर निलंबन की कार्रवाई किए जाने से विभाग में हड़कंप मच गया है। वनविकास महामंडल में कार्यरत वनरक्षक जितेंद्र धर्मराव मडावी का नाम निलंबित कर्मचारियों में शामिल है।
1 अक्टूबर को वनकर्मचारियों ने एमएच 34 एबी-5484 नंबर के जेनॉन पिकअप वाहन को पकड़ा, जिसमें अवैध सागौन लकड़ी की ढुलाई की जा रही थी। आरोपी संदीप दामोदर मडावी से करीब 51 हजार रुपए मूल्य का सागौन और तस्करी में इस्तेमाल की गई कई गाड़ियां व उपकरण जब्त किए गए।
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जांच के दौरान सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि इस अवैध गतिविधि में वनविकास महामंडल के ही वनरक्षक जितेंद्र धर्मराव मडावी की सीधी संलिप्तता थी, जिसकी आरोपी ने खुद कबूल की है। वनविकास महामंडल जैसी संस्था पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करती है। उसके ही कर्मचारी का अवैध कटाई और तस्करी में शामिल होना विभाग की साख पर गंभीर सवाल उठाता है।
भले ही आरोपी वनरक्षक को तत्काल निलंबित कर दिया गया हो, लेकिन इस घटना ने पूरे विभाग की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। घटना इस बात का संकेत है कि लालच और भ्रष्टाचार ने कुछ लोगों की नैतिकता को पूरी तरह ढक लिया है।
सागौन जैसे बहुमूल्य वृक्षों की अवैध कटाई केवल कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि पर्यावरण पर सीधा प्रहार है। वनविभाग के ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए यह घटना गहरा झटका है।