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‘लोग नाम नहीं, काम पहचानते हैं’, ठाकरे बंधुओं के साथ आने पर एकनाथ शिंदे का तंज

Maharashtra News: उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज-उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है। उन्होंने दोनों भाईयों के साथ आने पर तंज कसते हुए कहा कि लोग काम को पहचानते हैं, ‘नाम' को नहीं।

  • By सोनाली चावरे
Updated On: Aug 10, 2025 | 08:53 PM

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, राज-उद्धव ठाकरे (pic credit; social media)

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 Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कहा कि वर्षों पहले अलग हुए चचेरे भाइयों-उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का एक साथ आना “लोकतंत्र के लिए अच्छा” है, लेकिन इससे यह मजबूत संदेश भी गया है कि जनता उन लोगों का समर्थन करती है, जो उनके कल्याण के लिए काम करते हैं।

‘पीटीआई-भाषा’ को दिए वीडियो साक्षात्कार में शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने एक समय अपने चचेरे भाई राज को दरकिनार कर दिया था, जो 2005 में नाटकीय ढंग से शिवसेना से बाहर हो गए थे। ऐसे में दोनों का फिर से एक साथ आना विडंबनापूर्ण है। उन्होंने कहा, “यह कहना गलत होगा कि ठाकरे भाई अलग हो गए थे।

राज ठाकरे शिवसेना से हुए थे बेदखल

राज को शिवसेना से निकाल दिया गया था। जिन लोगों ने उनके (राज के) प्रभाव पर सवाल उठाए थे, वही लोग अब फिर से हाथ मिलाने की सोच रहे हैं। यह अच्छी बात है। चुनावी लोकतंत्र में कोई भी किसी से भी हाथ मिला सकता है।” शिंदे ने कहा कि कोई भी कहीं भी जा सकता है, यह उनकी निजी पसंद है, लेकिन जनता उन लोगों का समर्थन करती है, जो उनके लिए काम करते हैं और उनके कल्याण के बारे में सोचते हैं।

यह भी पढ़ें- राहुल गांधी संग राज की बैठक पर उद्धव ठाकरे का बड़ा बयान, क्या करना हैं…दोनों भाई ही तय करेंगे

लोग काम को पहचानते हैं, ‘नाम’ को नहीं

एकनाथ शिंदे ने उद्धव की तरफ इशारा करते हुए कहा, “लोग काम को पहचानते हैं, ‘नाम’ को नहीं। लोगों ने पहचान लिया है कि कौन उनके लिए काम करता है और कौन घर पर बैठता है। लोग उन लोगों को घर पर बैठा देते हैं, जिन्हें घर पर बैठना पसंद है।” शिंदे ने लगभग तीन साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (अविभाजित), कांग्रेस और राकांपा (अविभाजित) की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार से यह कहते हुए बगावत कर दी थी कि उद्धव ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व सिद्धांत को त्याग दिया है।

उन्होंने जून 2022 में शिवसेना (अविभाजित) के दो-तिहाई से अधिक विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी थी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोग से मुख्यमंत्री बने थे। बाद में निर्वाचन आयोग ने उनके नेतृत्व वाले गुट को ‘असली’ शिवसेना का दर्जा दे दिया था। ठाकरे बंधुओं ने पिछले महीने मुंबई में एक ‘विजय रैली’ के लिए मंच साझा किया था, जब महाराष्ट्र सरकार ने अपनी विवादास्पद त्रिभाषा नीति को वापस ले लिया था, जिसके तहत प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी सीखना अनिवार्य कर दिया गया था।

देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई और महाराष्ट्र का किया विकास

शिंदे ने कहा, “लोकतंत्र में कोई भी गठबंधन बना सकता है। मैं इस मुद्दे पर किसी की आलोचना नहीं करने जा रहा हूं। लेकिन मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरे ढाई साल के कार्यकाल के दौरान मैंने और देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई और महाराष्ट्र के विकास के लिए कई फैसले लिए।” उद्धव के उन्हें ‘गद्दार‘ कहने के बारे में पूछे जाने पर शिंदे ने पलटवार करते हुए कहा कि वह उद्धव ही थे, जिन्होंने शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों के साथ विश्वासघात किया।

‘गद्दार’ शब्द ठाकरे भाईयों पर फिट बैठता है

एकनाथ शिंदे ने कहा, “वह मेरे लिए जिस ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं, वह वास्तव में उन्हीं पर बिल्कुल फिट बैठता है। 2019 में लोगों ने भाजपा और शिवसेना को जनादेश दिया था। उन्होंने (उद्धव ठाकरे) उस जनादेश को धोखा दिया और कांग्रेस व (अविभाजित) राकांपा से हाथ मिला लिया। असली दोषी वह हैं।” शिंदे ने कहा कि उद्धव ने 2019 में जनादेश का अपमान किया था और मतदाताओं ने उन्हें 2024 के विधानसभा चुनावों में अच्छा सबक सिखाया।

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Published On: Aug 10, 2025 | 08:53 PM

Topics:  

  • BJP
  • Devendra Fadnavis
  • Eknath Shinde
  • Maharashtra News
  • Maharashtra Politics
  • Raj Thackeray
  • Shiv Sena
  • Shiv Sena UBT
  • Uddhav Thackeray

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