उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (pic credit; social media)
Maharashtra News: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार के एक मुख्य घटक दल शिवसेना पर उसके मुख्य नेता एकनाथ शिंदे की पकड़ ढिली पड़ने लगी है। बीजेपी महायुति सरकार में उप मुख्यमंत्री शिंदे का घटता कद और पार्टी के नेताओं में बढ़ती निराशा इसकी एक बड़ी वजह बताई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि सरकार में होने के बाद भी डीसीएम शिंदे अपने विधायकों और नेताओं से किया गया वादा पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली ‘महाविकास आघाड़ी’ सरकार के दौरान शिवसेना में ऐतिहासिक बगावत हुई थी। तब शिवसेना के 40 विधायक तथा दर्जनभर सांसद उद्धव का साथ छोड़कर शिंदे के पाले में आ गए थे। दावा किया जाता है कि शिंदे ने उन्हें मंत्री पद या मंडल सहित कई अन्य सुविधाएं एवं सुरक्षा दिलाने का आश्वासन दिया था। लेकिन खुद सीएम बनने के बाद भी शिंदे युति की मजबूरी के कारण दर्जन भर लोगों को ही मंत्री बनवा पाए थे।
बाद में बीजेपी नीत महायुति ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे शिंदे के नेतृत्व में ही लड़ा था। लेकिन चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिलने के बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने शिंदे की बजाय देवेंद्र फडणवीस को सीएम बना दिया। महायुति सरकार 2.0 में भी शिंदे की शिवसेना के कई विधायकों का मंत्री बनने का मंसूबा पूरा नहीं हो सका है। ऐसे में शिंदे के साथ गए विधायक एवं नेता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
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महायुति सरकार में शिंदे की शिवसेना के कोटे के ज्यादातर मंत्री अपने विभाग से संतुष्ट नहीं हैं। मंत्री भरत गोगावले ने रायगढ़ जिले के पालक मंत्री पद को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। लेकिन शिंदे तमाम कोशिशों के बाद भी गोगावले को पालक मंत्री नहीं बनवा पाए हैं। अन्य मंत्रियों का मानना है कि सरकार में बीजेपी उनके विभागों में हद से ज्यादा हस्तक्षेप कर रही है।
मंत्री आरोप लगाते हैं कि वित्त मंत्री अजित पवार उन्हें फंड नहीं देते। मंत्री संजय शिरसाट के समाज कल्याण विभाग का पैसा अजीत पवार की राकां के कोटे से मंत्री बनी अदिति तटकरे के महिला एवं बाल विकास विभाग की महत्वाकांक्षी लाडली बहन योजना के लिए घुमाया जा रहा है। मंत्रियों विधायकों की ऐसी तमाम नाराजगी दूर करने के लिए शिंदे तीन से चार बार दिल्ली का दौरा कर आए हैं। लेकिन वापस लौटने पर उन्होंने उल्टे अपने मंत्रियों की ही बर्ताव सुधारने की नसीहत दी और फटकार लगाई। इस वजह से भी शिंदे की शिवसेना में नाराजगी बढ़ रही है।
शिंदे की शिवसेना के बुलढाणा जिला संगठक नियुक्त किए गए विधायक संजय गायकवाड ने चिखली शहर में पहली बार पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की संवाद बैठक ली। बैठक के लिए मंच पर लगाए गए बैनर पर शिवसेना का नाम, पार्टी का चुनाव चिह्न, बालासाहेब ठाकरे या मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तस्वीर नहीं थी। बैनर पर सिर्फ संजय गायकवाड और उनके बेटे मृत्युंजय गायकवाड़ की तस्वीर देखकर लोग दावा करने लगे हैं कि डीसीएम शिंदे से गायकवाड नाराज हैं।
पार्टी में निरंकुशता बढ़ने का प्रमाण शिंदे की शिवसेना की सोमवार को नासिक जिले में हुई बैठक में भी देखने को मिला। जहां मंत्री उदय सामंत, दादा भुसे, गुलाबराव पाटिल और पूर्व सांसद राहुल शेवाले की उपस्थिति में पार्टी के दो गुट आपस में भिड़ गए।