एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के विधायक एकनाथ खडसे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र के अंतिम दिन विधान परिषद में वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने सरकार से सीधे जवाबदेही की मांग की। उनका आक्रोश सिर्फ सरकार की नीतियों तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने मंत्रियों की गैरहाजिरी, प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर सवाल उठाए। खडसे के तीखे सवालों ने सरकार को असहज कर दिया और सदन में हंगामे की स्थिति बन गई।
विधान परिषद में चर्चा के दौरान खडसे ने सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि जब राज्य में 42 मंत्री हैं, तो सदन में सिर्फ एक ही मंत्री क्यों मौजूद हैं? क्या सरकार के लिए सदन की कार्यवाही कोई मायने नहीं रखती?”
उन्होंने सदन में अकेले मौजूद मंत्री शंभुराज देसाई की ओर इशारा करते हुए कटाक्ष भरे लहजे में कहा कि “कम से कम आप तो आए! बाकी मंत्री कहां हैं?” उन्होंने सवाल उठाया कि जब इतने महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी थी, तो मंत्रियों की उपस्थिति अनिवार्य क्यों नहीं की गई?
शरद पवार गुट के नेता एकनाथ खडसे ने महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक चर्चाओं और विवादों को लेकर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि हमें किसानों, बेरोजगारी, महंगाई और कानून-व्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए थी, लेकिन पूरा समय मसाज कांड, मुंडे का इस्तीफा और औरंगजेब जैसे मुद्दों पर ही चला गया। उन्होंने इसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने की रणनीति बताया और मांग की कि सदन को उन विषयों पर केंद्रित किया जाए जो जनता से सीधे जुड़े हैं।
खडसे ने जल संसाधन विभाग में हुए 25,000 करोड़ रुपये के टेंडर घोटाले का मुद्दा उठाते हुए कहा कि चुनाव के समय इतने बड़े-बड़े टेंडर क्यों पास किए गए? क्या ये सिर्फ ‘चुनावी चंदे’ के लिए जारी किए गए? उन्होंने कहा कि सिंचाई परियोजनाओं के लिए निकाले गए टेंडर में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां हुई हैं, लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही।
इसके अलावा, उन्होंने जलगांव पीडब्ल्यूडी विभाग के सोनवणे नामक अधिकारी का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार का इतना चहेता अधिकारी है कि उस पर 9 जांचें चल रही हैं, फिर भी वह अपने पद पर बना हुआ है। क्या यही प्रशासन की पारदर्शिता है?
एनसीपी (एसपी) के विधायक एकनाथ खडसे ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार के फैसले मंत्री ले रहे हैं, या फिर अधिकारी मनमाने तरीके से शासन चला रहे हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अधिकारी” बेलगाम हो गए हैं और उन्हें जनता की कोई परवाह नहीं है।
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उन्होंने कहा कि अगर सरकार पारदर्शी होती, तो ऐसे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होती। लेकिन यहां तो सरकार ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। खडसे के इन सवालों से सरकार असहज नजर आई, लेकिन किसी भी मंत्री ने ठोस जवाब नहीं दिया।