कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: मुंबई की एक अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद यूट्यूब पर आपत्तिजनक वीडियो नहीं हटाने के मामले में गूगल को नोटिस जारी कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ए यू बहिर ने पिछले सप्ताह गैर सरकारी संगठन (NGO) द्वारा दायर अवमानना याचिका पर गूगल को यह नोटिस जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई 3 जनवरी 2025 को होगी।
मुंबई की एक अदालत ने यूट्यूब पर एक एनजीओ और आध्यात्मिक नेता के खिलाफ पोस्ट किए गए अपमानजनक और अश्लील वीडियो को कथित तौर पर न हटाने के लिए गूगल को नोटिस जारी किया है। स्थानीय थाने के वरिष्ठ निरीक्षक को भी नोटिस जारी किया गया है, जिन पर एनजीओ ने वीडियो हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है।
पशु कल्याण के लिए समर्पित होने का दावा करने वाले NGO ध्यान फाउंडेशन ने कहा है कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने उसके और आध्यात्मिक नेता योगी अश्विनी के खिलाफ यूट्यूब वीडियो का लिंक प्रसारित किया है। याचिका में कहा गया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री को व्यापक रूप से शेयर किया और एनजीओ और योगी अश्विनी की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है।
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एनजीओ ने अवमानना याचिका में कहा कि बंबई उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका को स्वीकार कर लिया था और 31 मार्च 2024 को यूट्यूब को आपत्तिजनक वीडियो को हटाने का निर्देश दिया था। बताया गया कि वीडियो अभी भी भारत के बाहर यूट्यूब पर दिखाई दे रहा है और कोई भी यूजर इसे देख सकता है।
ध्यान फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि गूगल ने जानबूझकर उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए वीडियो को अब तक नहीं हटाया है।
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एनजीओ के वकील राजू गुप्ता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि “ध्यान फाउंडेशन और योगी अश्विनी जी के बेदाग चरित्र और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हुए गूगल देरी की रणनीति अपना रहा है और तुच्छ आधार पर स्थगन का अनुरोध कर रहा है।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)