मुंबई: महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के एक किले में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा सोमवार को ढह गई। जिसक बाद राज्य की राजनीति नें बवाल मचा है। इस भव्य प्रतिमा के महज आठ महीनों में ढह जाने से महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। घटना के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि काम की गुणवत्ता पर कम ध्यान दिया गया था। वहीं, कांग्रेस आज प्रदेश भर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के काम में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी।
हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज को नौसेना के पहले जनक के रूप में जाना जाता है। इसलिए भारतीय नौसेना के झंडे पर भी शिव राय की शाही मुहर छपी हुई है। इस पृष्ठभूमि में नौसेना की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित सिंधुदुर्ग किले को साक्षी मानकर 4 दिसंबर 2023 को नौसेना दिवस मनाने का निर्णय लिया था।
इस मौके पर मालवण के तारकर्ली समुद्र तट पर स्थित राजकोट किला परिसर में 2 करोड़ 40 लाख 71 हजार रुपए खर्च करके छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई। जमीन से 45 फुट की ऊंचाई पर स्थापित यह प्रतिमा सोमवार को दोपहर में 1 बजे के करीब अचानक ढह गई। ऐसा माना जा रहा है कि बुनियाद कमजोर होने के कारण प्रतिमा बारिश और तेज हवाओं का तेज प्रहार सह नहीं पाई।
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मालवण में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के काम में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस आज प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन करेगी। प्रदेश के सभी जिलों में कांग्रेस नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास धरना देकर शिव विरोधी सरकार का विरोध करेंगे। कार्य में भ्रष्टाचार के कारण प्रतिमा का गिरना महाराजा का अपमान है। नांदेड़ को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
भारतीय नौसेना ने सोमवार को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा ढहने की घटना की जांच के आदेश दिए हैं। नौसेना ने बयान में कहा गया है, “भारतीय नौसेना सिंधुदुर्ग के निवासियों को 4 दिसंबर, 2023 को नौसेना दिवस पर समर्पित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा की क्षति पर गहरी चिंता व्यक्त करती है।” बयान में कहा गया है, “नौसेना ने राज्य सरकार और संबंधित विशेषज्ञों के साथ, इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण की तत्काल जांच करने और जल्द से जल्द प्रतिमा की मरम्मत और पुनर्स्थापना के लिए कदम उठाने की खातिर एक टीम तैनात की है।”
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इस घटना के बाद शिवसेना (उद्धव गुट) के विधायक वैभव नाईक ने निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि घटिया काम के कारण महाराज की प्रतिमा गिरी है। हम इससे दुखी हैं और एक शिव प्रेमी होने की वजह से हम इसकी निंदा करते हैं। यह प्रतिमा करोड़ों रुपये खर्च कर बनाई गई थी। जब काम शुरू हुआ था, तभी स्थानीय लोगों ने शिकायत की थी। लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया। नाईक ने कहा कि 400 साल पहले बने इस किले का एक भी हिस्सा अभी तक नहीं गिरा है, लेकिन छह महीने पहले बनी प्रतिमा ढह गई। इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, अन्यथा हम जिले में नहीं बल्कि पूरे राज्य में आंदोलन करेंगे।
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सांसद सुप्रिया सुले ने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ पर साझा किए गए पोस्ट में लिखा है कि जब देश का प्रधानमंत्री किसी स्मारक या संरचना का उद्घाटन करता है, तो लोगों को विश्वास होता है कि उसका काम उच्च गुणवत्तावाला होगा। लेकिन राजकोट किले में स्थापित महाराज की प्रतिमा एक साल के भीतर ही ढह गई। यह छत्रपति शिवराय का अपमान है। जाहिर है कि इस मूर्ति का काम निम्न गुणवत्ता का था। इस लिहाज से यह प्रधानमंत्री और जनता के साथ भी खुला धोखा है। मूर्ति बनाने का काम ठाणे जिले के ठेकेदार को सौंपा गया था। अब यह स्पष्ट है कि उन्होंने अपना काम कैसे किया होगा। हम मांग करते हैं कि इस व्यक्ति और उसके संगठन को सभी खातों से ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए। इस प्रतिमा का काम निम्न गुणवत्ता का क्यों था और कई अन्य चीजों की गहन जांच की जरूरत है।
खुद को महाराष्ट्र के परम पूज्य छत्रपति शिवाजी महाराज की अनुयायी बतानेवाली उद्धव ठाकरे की शिवसेना इस घटना के बाद से आक्रामक हो गई है। आक्रोशित शिवसैनिकों ने पीडब्ल्यूडी कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की।