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‘भ्रामक है WCL का शपथपत्र’, दुर्गापुर ओपनकास्ट प्रोजेक्ट मामले में याचिकाकर्ता ने उठाए गंभीर सवाल

Nagpur News: चंद्रपुर जिले में दुर्गापुर डीप एक्सटेंशन ओपन कास्ट प्रोजेक्ट मामले में वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल किया है। इस पर याचिकाकर्ता ने गंभीर सवाल उठाए हैं।

  • By स्नेहा मौर्या
Updated On: Aug 19, 2025 | 10:57 AM

बॉम्बे हाई कोर्ट (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)

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Bombay High Court: चंद्रपुर जिले में दुर्गापुर डीप एक्सटेंशन ओपन कास्ट प्रोजेक्ट के खुले खनन के लिए वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को 374.90 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया। इस भूमि पर कुल 25,587 पेड़ हैं। रेंज फारेस्ट ऑफिसर की रिपोर्ट के अनुसार इन पेड़ों की क्षति होगी जिससे पर्यावरण के होने वाले नुकसान को देखते हुए प्रकृति फाउंडेशन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।

याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 28 अप्रैल 2025 को आदेश जारी कर चंद्रपुर एरिया में डब्ल्यूसीएल के चीफ जनरल मैनेजर को शपथपत्र दायर करने को कहा था जिसके अनुसार 9 जुलाई 2025 को शपथपत्र तो दायर किया गया। लेकिन इसमें डब्ल्यूसीएल की ओर से भ्रामक जानकारी दिए जाने का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ता ने अर्जी दायर की। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता महेश धात्रक ने पैरवी की।

हाई कोर्ट द्वारा 28 अप्रैल 2025 को एक आदेश पारित किया गया जिसके तहत चंद्रपुर एरिया में डब्ल्यूसीएल के चीफ जनरल मैनेजर को एक हलफनामा दायर कर विस्तार से यह बताने का निर्देश दिया गया। इसमें पिछले 2 दशकों से भी अधिक समय में कोयला खदानों के लिए उपयोग की जा रही और उसके बाद छोड़ दी गई भूमि के संबंध में जैव विविधता, वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की पुनर्स्थापना के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं, पूछा गया है। निर्देश दिया गया कि वे अभिलेख में उपलब्ध विवरण के साथ-साथ उनके द्वारा छोड़ी गई भूमि के स्थान और जैव विविधता की पुनर्स्थापना के लिए अब तक उठाए गए चरण-वार कदमों का भी विवरण दें।

आदेश का पालन नहीं

हलफनामा पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता महेश धात्रक ने कहा कि विभाग ने बड़ी मात्रा में भूमि की बहाली के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों को समझाने का प्रयास किया है। लेकिन उक्त हलफनामा पूरी तरह से भ्रामक है और हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया है। आदेश में दर्शाई गई बातों के अनुसार कुछ भी नहीं किया है। अधिकारी द्वारा दायर हलफनामा पूरी तरह से दिखावा है। अनुच्छेद संख्या 10 से 12 में यह दावा किया गया है कि खनन बंद करने की योजना प्रस्तुत और स्वीकृत होने से पहले खदान पट्टा क्षेत्र को छोड़ा जा सकता है।

विशेष रूप से अनुच्छेद संख्या 12 में यह कहा गया है कि उत्खनित खदान पट्टा क्षेत्र का उपयोग आज तक छोड़ा नहीं गया है और उक्त मौजूदा क्षेत्र का उपयोग भविष्य में खनन आवश्यकताओं के लिए किया जा सकता है जिसमें कोयला निष्कर्षण और बर्डन डंपिंग शामिल है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि इस क्षेत्र का कोई भी पुनर्स्थापन नहीं किया है और वनस्पतियों और जीवों सहित किसी भी जैव विविधता को बनाए नहीं रखा है।

ये भी पढ़ें- ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत होगा पब्लिक ट्रांसपोर्ट, नागपुर DPC बैठक में 1327 करोड़ के बजट को मंजूरी

उपयोग के लायक नहीं विषैला पानी

हलफनामे में दावा किया गया है कि सेक्टर संख्या IC, II, III और IV में लगभग 85 हेक्टेयर का एक जलाशय है जो प्राकृतिक रूप से पीने और घरेलू उपयोग के लिए पानी से भरा है। इसका उपयोग पास की WCL कॉलोनी में शुद्ध करने के बाद किया जाता है। विभाग का यह तर्क पूरी तरह से गलत और गैर कानूनी है क्योंकि कोयला निकालने के लिए खोदी गई खदान के क्षेत्र में कोयले के साथ ‘आर्सेनिक’ जैसे अत्यंत विषैले तत्व पाए गए हैं जो एक प्राकृतिक घटना है, इसलिए पानी का ऐसा उपयोग अत्यंत विषैला है। इसके अलावा इसमें धातु और विषैले पदार्थ भी पाए जाते हैं जो मानव जीवन के लिए खतरनाक हैं।

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Published On: Aug 19, 2025 | 10:57 AM

Topics:  

  • Bombay High Court
  • Chandrapur News
  • Maharastra
  • Nagpur News

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