धान, सोयाबीन और कपास उत्पादक संकट में (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Chandrapur News: इस साल ज़िला वापसी की बारिश से प्रभावित हुआ है। सितंबर महीने में ज़िले में रिकॉर्ड 345।7 मिमी बारिश दर्ज की गई। सितंबर महीने में 205 प्रतिशत बारिश हुई। इसके चलते धान, कपास और सोयाबीन की फसलें प्रभावित हुई हैं। कपास और धान की फसलें तो बर्बाद हो गई और अब सोयाबीन में अंकुर फूटने लगे हैं। इससे किसान संकट में हैं। सितंबर में ज़िले में हुई बारिश विनाशकारी रही।, उम्मीद थी कि दशहरे के दो-तीन दिन के बाद बारिश रुक जाएगी।
लेकिन, गुरुवार और शुक्रवार को हुई बारिश से यह साफ़ हो गया है कि बारिश नहीं रुकेगी। ज़िले में धान, कपास और सोयाबीन मुख्य फसलें हैं।, इन फसलों का मौसम अच्छा चल रहा है, लेकिन लगातार बारिश से इन फसलों पर रोग का ख़तरा मंडरा रहा है। बारिश के कारण कपास और धान की फसलें नष्ट हो रही हैं। कटाई के लिए तैयार सोयाबीन में बारिश के कारण अंकुरण शुरू हो गया है। इससे किसानों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। दशहरा बीतने के बाद भी बारिश नहीं रुकी है, इसलिए किसान चिंतित हैं कि उनकी फसलों का क्या होगा।
चिमूर तहसील के नेरी के पास आदेगांव (को), बोथली, लावारी (मरार) के खेतों में खड़ी धान की फसल गुरुवार (2 अक्टूबर) की शाम 4 बजे आए एक भयंकर चक्रवात से नष्ट हो गई। इस तूफ़ान में कई किसानों को नुकसान हुआ है और सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद होने के कगार पर है। साथ ही, बेमौसम बारिश और चक्रवात ने बोथली लावारी चौक पर व्यापारियों के टिन के छप्पर उड़ा दिए, जिससे भारी नुकसान हुआ।
गनीमत रही कि किसी की जान नहीं गई। इस क्षेत्र के किसानों ने मांग की है कि सरकार पूरे मामले की जांच करें और नुकसान का मुआवजा दे। पिछले दो महीनों से लगातार बारिश ने जनजीवन और फसलों को अस्त-व्यस्त कर दिया है, गुरुवार को भारी बारिश और चक्रवात ने धान की फसलों को नुकसान पहुँचाया है। चक्रवात से कुछ हल्की किस्मों के साथ-साथ मध्यम और भारी धान की फसलें ज़मीन पर बिछ गईं, जबकि कुछ को नुकसान हुआ।
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नतीजतन, सैकड़ों एकड़ में लगी फसलें बर्बाद होने के कगार पर हैं। इस चक्रवात ने सड़क पर खेतों में लगे पेड़ों को उखाड़ दिया। कुछ देर के लिए इस सड़क पर वाहन फंसे रहे। साथ ही, चक्रवात ने गांव के चौक पर नाश्ता बेचने वालों के टिन के डिब्बे उड़ा दिए, जिससे भारी नुकसान हुआ। इस क्षेत्र के किसानों ने मांग की है कि प्रशासन पूरे नुकसान का पंचनामा करे और प्रभावित किसानों और व्यापारियों को मुआवजा दे।